इंदौर: इंदौर में पिछले साल कथित रूप से जादू टोने के लिए कछुए को जिला अस्पताल परिसर में दफनाए जाने का रहस्य और गहरा गया है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने कछुए के शिकार मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता अभिजीत पांडे की तरफ से दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए संबंधित कछुए के अवैध शिकार की जांच तेज करने के निर्देश वन विभाग को दिए हैं.
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत मामले की जांच करे वन विभाग
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की खंडपीठ ने वन विभाग को निर्देश दिया कि वह 29 मई 2024 के शिकायत पत्र पर विचार करते हुए वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत इस मामले की जांच करे.
दरअसल हाई कोर्ट में याचिका के साथ जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है उसमें उल्लेख है कि कछुए पर कुमकुम लगा हुआ था जिससे उसके शिकार की पुष्टि की गई थी. इस मामले में याचिकाकर्ता ने दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है. तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
- इंदौर जिला अस्पताल परिसर में तंत्र क्रिया, कछुए को मारकर लाल कपड़े में क्यों दफनाया
- बिना शादी साथ रहने कोर्ट ने दी अनुमति, परिजनों की मर्जी के खिलाफ लिव इन रिलेशन का मामला
यह था पूरा मामला, चंदननगर पुलिस से की गई थी शिकायत
दरअसल पिछले साल मई के महीने में इंदौर जिला अस्पताल के पीछे लाल कपड़े में कुछ लोगों ने एक दुर्लभ प्रजाति के कछुए का शिकार कर जमीन में दफना दिया था. कछुए को दफनाने के दौरान तंत्र क्रिया में उपयोग की जाने वाली सामग्री का भी उपयोग किया गया था. चंदननगर पुलिस को इस मामले की शिकायत की गई थी.
पुलिस ने अस्पताल परिसर में खुदाई कर कछुए को जमीन से निकलवाया
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि जिला अस्पताल के कर्मचारी शेखर जोशी, अशोक मालवीय और संजय काकडे द्वारा तंत्र क्रिया करने के बाद अस्पताल के पीछे कछुए को लाल कपड़े में बांधकर दफनाया गया है. शिकायत के बाद पुलिस ने अस्पताल परिसर में खुदाई कर कछुए को जमीन से निकलवाया. वहीं अस्पताल के कर्मचारियों का कहना था कि कुछ दिन पहले एक कुत्ते ने कछुए को नोचकर मार दिया था. जिसका विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया था.
लेकिन कुछ लोगों ने इस मामले के वीडियो बना लिए थे जिसके आधार पर पुलिस से शिकायत की गई. इस मामले में याचिकाकर्ता ने कई जगहों पर शिकायत के बाद हाई कोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट ने आज इस मामले में कठोर जांच के साथ वन्य प्राणी अधिनियम के साथ तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.