नई दिल्ली:अंगदान को लेकर आम जनमानस में जागरूकता काफी बढ़ी है. अब ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग अंगदान के लिए आगे आ रहे हैं. देश के सबसे बड़े अस्पताल दिल्ली एम्स में 48 घंटे के अंदर दो ब्रेन डेड लोगों के अंगदान हुए हैं. रिट्रीवल टीम के डॉक्टरों द्वारा दोनों डोनर्स के एक दिल, चार किडनी, दो लीवर और चार कॉर्निया निकाले गए हैं.
इनमें, एक राजस्थान के भरतपुर के 51 वर्षीय बच्चू को 12 जनवरी 2024 को किटवाड़ी रेलवे स्टेशन हरियाणा में रेलवे ट्रैक पर गिरने से गंभीर चोट लगी थी. अचेतावस्था में उन्हें एम्स के जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था. बेहतर देखभाल प्रदान किए जाने के बावजूद, 24 जनवरी को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. बच्चू निर्माण उद्योग में राजमिस्त्री थे. उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं. वह रोजगार के सिलसिले में पलवल में रह रहे थे.
दूसरे मामले में हरियाणा की 40 वर्षीय माया शामिल है, जिसके परिवार ने एम्स, दिल्ली में मल्टी ऑर्गन डोनेशन के नेक कार्य का एक अद्भूत मिसाल पेश किया है. माया के परिवार ने घटना के बारे में बताते हुए कहा कि 'माया एक धार्मिक महिला थी. वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहती थीं.
अंगदान कर कई लोगों को नई जिंदगी:ओर्बो, एम्स में प्रोफेसर प्रभारी डॉ. आरती विज ने परिवार के निस्वार्थ निर्णय के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि अंगदान महादान है. इससे जरूरतमंद लोगों को नई जिंदगी मिलती है. साथ ही डोनर भी कई शरीरों में पुनजीर्वित हो उठता है. एम्स दिल्ली में 48 घंटों के भीतर दो परिवारों की ओर से मल्टी ऑर्गन डोनेशन देखने को मिला. 51 वर्षीय ब्रेन डेड पुरुष बच्चू के परिवार द्वारा किए गए पहले, दिल को छू लेने वाले कार्य ने कई लोगों के लिए नए जीवन का मार्ग प्रशस्त किया.
आर्मी रेफरल हॉस्पिटल, सफदरजंग और एम्स दिल्ली को दिए अंग:रिट्रीवल टीम के डॉक्टरों द्वारा दोनों डोनर्स के एक दिल, चार किडनी, दो लीवर और चार कॉर्निया निकाले गए. राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नाटा) के माध्यम से प्राप्तकर्ताओं को अंग आवंटित किए गए. एक लीवर और एक किडनी एएचआरआर अस्पताल, दिल्ली को आवंटित की गई. एक किडनी सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली को आवंटित की गई. जबकि हृदय, लीवर और दो किडनी एम्स दिल्ली में प्राप्तकर्ताओं को प्रत्यारोपित किए गए. कॉर्निया को एम्स के डॉ. आरपी सेंटर में बैंक में रखा गया है. अच्छी बात यह है कि माया के परिवार ने भी त्वचा दान की थी, जो अब एम्स के बर्न एंड प्लास्टिक सेंटर में हाल ही में स्थापित स्किन बैंक में संरक्षित है.