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हजारीबाग केंद्रीय कारा अधीक्षक के ऊपर जांच का आदेश, हवलदार की हत्या पर जागा प्रशासन - Murder of Havildar - MURDER OF HAVILDAR

Orders for investigation on Central Jail Superintendent. हजारीबाग में हवलदार की हत्या के बाद जेल प्रशासन की नींद खुली है. लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा अधीक्षक जितेंद्र कुमार के ऊपर जांच का आदेश हुआ. इसके एक जांच कमेटी गठित की गयी है.

Orders for investigation on Central Jail Superintendent regarding murder of Havildar in Hazaribag
लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 12, 2024, 10:42 PM IST

हजारीबागः जिला में लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में पदस्थापित कर अधीक्षक जितेंद्र कुमार के ऊपर जांच का आदेश निर्गत किया गया है. आदेश में कहा गया है कि मीडिया के माध्यम से कारा अधीक्षक जितेंद्र कुमार के विरुद्ध लगातार अनियमित बरते जाने की शिकायतें प्राप्त होती रही हैं.

इसको लेकर एक जांच कमेटी गठित की जाती है. जिसमें कारा निरीक्षणालय रांची के निदेशक प्रशासन मनोज कुमार और कारा निरीक्षणालय रांची के कारापाल मोहम्मद नसीम को उनके विरुद्ध जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. आदेश में कहा है कि जानकारी मिल रही है कि अस्पताल में बंदियों को रखना और वीआईपी बंदियों को विशेष सुविधा देने की भी शिकायतें मिली हैं.

हवलदार की हत्या पर जागा जेल प्रशासन

एक फर्जी बीमारी का सहारा लेकर कुख्यात अपराधी जेल से इलाज के नाम पर शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज पहुंचता है. वहां सिक्योरिटी में तैनात हवलदार की हत्या कर वह फरार हो जाता है. जब यह घटना घटी तो जेल आइजी की नींद खुली और उन्होंने आनन फानन में 1 घंटे के भीतर जांच का आदेश जारी कर दिया. लेकिन जांच का आदेश पत्र भी हास्यास्पद माना जा रहा है.

जांच का आदेश उसे वक्त निर्गत किया गया है जब हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उम्र कैद की सजा काट रहा कैदी शाहिद अंसारी सुरक्षा कर्मी चौहान हेंब्रम की हत्या कर फरार हो गया. शाहिद अंसारी के ऊपर हत्या और पोक्सो एक्ट के तहत सजा सुनायी गयी थी. सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि नियमों को ताक पर रखकर जेल अधीक्षक ने कैदी को इलाज के लिए शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल जेल अस्पताल से हस्तांतरित किया था.

कारा अधीक्षक जितेंद्र कुमार का विवादों से पुराना नाता!

कारा अधीक्षक जितेंद्र कुमार पूर्व से विवादों में रहे हैं. जब वह मेदिनीनगर से स्थानांतरित होकर हजारीबाग केंद्रीय कारा पहुंचे तो मेदिनीनगर में बगैर संबंधित वरीय पदाधिकारी के आदेश के खास बंदी को पैरोल की स्वीकृति देने के आरोप में स्पष्टीकरण मांगी गयी थी. लेकिन उस स्पष्टीकरण पर भी किसी भी तरह की कोई कार्रवाई उन पर नहीं हुई. प्राप्त खबर के मुताबिक जेपी कारा में कभी भी ऐसी स्थिति नहीं बनी की मैगजीन की जिम्मेदारी एक्स आर्मी को सौंपी गई हो. लेकिन हजारीबाग में योगदान देते हीं सारे नियमों को ताक पर रख कर जितेंद्र कुमार ने सरकारी कर्मी को हटाकर यह जिम्मेदारी एक्स आर्मी चंदन तिवारी को सौंप दिया है. जो एक कांटेक्ट कर्मी की तरह होते हैं. हास्यास्पद है कि एक सेंट्रल जेल के कारा अधीक्षक के विरुद्ध जांच की जिम्मेदारी कारापाल को सौंपी जाती है.

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