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गया में अफीम की खेती और नक्सलियों का डेंजर कनेक्शन!, 2053 एकड़ में लगी फसल की गई नष्ट

Operation Clean In Gaya : बिहार के गया में पिछले तीन दशक से अफीम की खेती हो रही है. जिसमें गेहूं, चावल की खेती होनी चाहिए उसमें जहर की पैदावार हो रही है. प्रशासन अभियान के नाम पर खानापूर्ति करती है. यही कारण है कि तीन दशक के बाद भी इसपर रोक नहीं लग पायी. पढ़ें पूरी खबर.

गया में पिछले तीन दशक से अफीम की खेती
गया में पिछले तीन दशक से अफीम की खेती

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 24, 2024, 6:06 AM IST

Updated : Feb 24, 2024, 8:02 AM IST

गया में पिछले तीन दशक से अफीम की खेती

गयाः बिहार के गया में अफीम की खेती पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से हो रही है लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से इसपर रोक नहीं लगायी गई. अफीम की फसल नष्ट करने के नाम पर उत्पाद विभाग की ओर से मात्र खानापूरी की जा रही है. यही कारण है कि पिछले तीन दशक से अनाज उपजने के बदले खेत में जहर की खेती हो रही है.

गया में अफीम की खेती, नक्सलियों का डेंजर कनेक्शन!: गया के ज्यादातर अफीम की खेती नक्सल इलाके में होती है. सूत्रों के अनुसार इसमें माफिया और नक्सली की मिलीभगत रहती है. हैरानी तो इस बात की है कि अफीम का फसल नष्ट करने के बाद भी दोगुणी खेती की जा रही है. प्रशासन ने पिछले साल 1382 एकड़ में अफीम को नष्ट किया था. इस साल 2053 एकड़ में खेती को नष्ट किया गया इसके बावजूद हजारों एकड़ में अब भी फसल लगी है.

गया में अफीम की खेती

क्यों नहीं लग पा रही रोक? : आखिर में प्रशासन इसपर रोक लगाने में कामयाब क्यों नहीं होता है? सूत्रों से तो यह भी खबर मिली है कि इसमें प्रशासन की भी मिलीभगत रहती है. यह कारण है कि गया में अफीम की खेती फल-फूल रहा है. प्रशासन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर लेती है ताकि रिकॉर्ड में दर्ज किया सके कि हमने कार्रवाई की है. इसके बदले उनकी मोटी कमायी भी होती है. माफियाओं से सांठगांठ भी है.

बॉर्डर इलाके में खेतीः बता दें कि ज्यादातर इसकी खेती बॉर्डर इलाके में की जाती है. गया से सटे झारखंड के चतरा और हजारीबाग के बॉर्डर पर इसका लगातार विस्तार हो रहा है. हैरानी की बात है कि यह खेती रैयती के साथ साथ सरकारी जमीन में भी की जाती है. खासकर जंगल इलाकों को साफ कर इसकी खेती की जाती है. गया में उपजने वाले अफीम की तस्करी देश के कई राज्यों तक होती है, जिसमें हरियाणा, पंजाब, कश्मीर, राजस्थान आदि राज्य शामिल हैं.

गया के खेत में उग रहे 'जहर'

'तीन महीने से चल रहा अभियान': गया प्रशासन के अनुसार पिछले साल 5 दिसंबर से अभियान शुरू किया गया था. 3 महीने में कई एकड़ भूमि में लगे अफीम को नष्ट किया जा चुका है, लेकिन अब तक पूरी तरह से अफीम की खेती को नष्ट नहीं किया गया है. ऑपरेशन में नारकोटिक्स, वन विभाग, उत्पाद विभाग, सुरक्षा बाल, गया पुलिस बल लगे हुए हैं. हर साल अफीम की फसल को नष्ट किए जाने का दावा किया जाता है लेकिन बड़ा सवाल है कि नष्ट होने के बावजूद हर साल क्यों फसल लगायी जाती है.

'ऑपरेशन क्लीन के तहत कार्रवाई': इस संबंध में उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त प्रिय रंजन ने बताया कि गया के इलाकों में ऑपरेशन क्लीन चलाकर अफीम की खेती को नष्ट किया जा रहा है. अफीम की खेती एक कटठे में जो नष्ट होती है तो उसका अनुमानित खर्च 40 हजार रुपए आता है. पिछले वर्ष 1382 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किया गया था. इस बार 2053 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किया जा चुका है.

"ऑपरेशन क्लीन अब भी जारी है. करोड़ों के अफीम की खेती को नष्ट किया जा चुका है. पिछले वर्ष 1382 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किया गया था. इस साल भी यह अभियान चलाया जा रहा है. अफीम की खेती नष्ट करने का अभियान जारी है."-प्रिय रंजन, सहायक आयुक्त, उत्पाद विभाग, गया

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Last Updated : Feb 24, 2024, 8:02 AM IST

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