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जलझूलनी एकादशी : ठाकुर जी ने धारण किया नटवर वेश, भगवान को डोल में विराजमान कराकर निकाली गई यात्राएं - Jaljhulani Ekadashi 2024

छोटी काशी में शनिवार को जलझूलनी एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में ठाकुर जी का नटवर वेश में शृंगार किया गया. भगवान को डोल में विराजमान कर यात्राएं निकाली गई. जलाशयों में ठाकुर जी को नौका विहार और स्नान कराया गया. वहीं, जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में शालिग्राम जी को खाट पर विराजमान कर तुलसी मंच पर ले जाया गया और पंचामृत अभिषेक किया गया.

जलझूलनी एकादशी
जलझूलनी एकादशी (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 14, 2024, 4:08 PM IST

मंदिरों में जलझूलनी एकादशी की धूम (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर :भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जलझूलनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी का नटवर वेश में शृंगार किया गया. शालिग्राम जी को खाट पर विराजमान कर मंदिर के तुलसी मंच पर ले जाया गया. यहां पंचामृत अभिषेक कर आरती की गई. इसके बाद तुलसी मंच की चार परिक्रमा कर दोबारा शालिग्राम जी को खाट पर विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा कर वापस निज मंदिर लाया गया.

इसी तरह जयपुर के दूसरे प्रमुख कृष्ण मंदिर पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी में भी जलझूलनी एकादशी पर विशेष झांकी सजाई गई. मंदिर के सेवादार उमेश नागपाल ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार चतुर्मास के दौरान पाताल लोक में क्षीर सागर में निंद्रा कर रहे भगवान विष्णु इस दिन करवट बदलते हैं. इसलिए इसका नाम परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन व्रत करने से मनुष्य को वाजपेय यज्ञ करने के समान फल मिलता है. साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में कभी भी दुख और आर्थिक परेशानियां नहीं आती हैं. वहीं, मंदिर महंत सिद्धार्थ गोस्वामी ने बताया कि यहां भगवान की विशेष झांकी सजाई गई है. सुबह से भक्तों का तांता लगा हुआ है. वहीं, शाम को हरिनाम संकीर्तन होगा.

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डोल यात्राएं निकाली गई :श्रद्धालुओं ने बताया कि जलझूलनी एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा-अर्चना भी की जाती है. भगवान कृष्ण के जन्म के 18वें दिन डोल ग्यारस उत्सव के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि इसी दिन माता यशोदा ने नन्हे कान्हा को डोल में बैठा कर तालाब के घाट पर ले जाकर जल और घाट की पूजा की थी. यही परंपरा शनिवार को छोटीकाशी में भी निभाई गई, जहां ठाकुर जी को फूलों से सजी पालकी में विराजमान कर जयकारा लगाते हुए परकोटे में तालकटोरा और नजदीकी जलाशयों तक ले जाया गया. यहां भगवान को स्नान कराकर नौका विहार भी कराया गया. साथ ही डोल यात्राएं निकाली गई. वहीं, वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों ने जलझूलनी एकादशी पर व्रत भी रखा.

बता दें कि द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण के जन्म के 18वें दिन माता यशोदा ने भगवान के बालरूप अवतार का जलवा पूजन किया तथा इसी दिन माता यशोदा ने पहली बार अपने बाल गोपाल कृष्णजी को घर से बाहर निकाला था. इस दिन पूरे गोकुलवासियों ने बड़ा जश्न मनाया और झांकी का आयोजन किया, तभी से भगवान कृष्ण का जलझूलनी एकादशी के दिन जलवा पूजन और सुंदर झांकियां निकाल कर उत्सव मनाया जाता है.

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धौलुपर में राजस्थान जल महोत्सव का आयोजन :जलझूलनी एकादशी के अवसर पर राजस्थान जल महोत्सव 2024 कार्यक्रम का आयोजन मचकुंड सरोवर पर जिला कलेक्टर श्रीनिधि बीटी के नेतृत्व एवं भाजपा नेत्री नीरजा शर्मा, जिला अध्यक्ष भाजपा सत्येंद्र पराशर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ. कलेक्टर एवं जनप्रतिनिधियों ने मचकुंड सरोवर की पूजा-अर्चना की. कलेक्टर द्वारा लोगों को जल संरक्षण की शपथ भी दिलाई गई. जिला कलेक्टर ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि जल महोत्सव का उद्देश्य जल के महत्व को समाज में उजागर करना और जल संसाधनों के संरक्षण के प्रति लोगों को प्रेरित करना है. यह महोत्सव राज्य की जल नीति और प्रबंधन में लोगों की भागीदारी को भी बढ़ावा देगा, साथ ही जल संसाधनों के प्रति जागरूकता फैलाएगा. उन्होंने कहा कि जिले में अत्यधिक वर्षा के चलते आमजन से अपील की है कि नदी, तालाबों, पोखर, रपट, झील आदि पर जाने से बचें. जिला कलेक्टर श्रीनिधि बीटी ने बताया कि 14 सितंबर जलझूलनी एकादशी के दिन जिले के पूर्ण भरे हुए जलाशयों मचकुंड सरोवर पर "राजस्थान जल महोत्सव" कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

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