देहरादून: उत्तराखंड में ज्यादा से ज्याजा रोजगार के अवसर पैदा हों, इसको लेकर सरकारें कई योजनाओं पर काम करती हैं. लेकिन धरातल पर सरकारों के वो दावे हकीकत से कोसों दूर होते हैं. ये बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि सरकारी आंकड़े इसकी गवाही खुद दे रहे हैं. सेवायोजन कार्यालय के पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में बीते पांच सालों के अंदर पंजीकृत बेरोजगारों का आंकड़ा 9 लाख के करीब पहुंच गया है, जिसमें से मात्र 17 हजार युवाओं को ही रोजगार मिल पाया है.
राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड में रोजगार एक बड़ी समस्या रहा है. उत्तराखंड में युवाओं के पलायन का बड़ा कारण भी बेरोजगारी ही रहा है. उत्तराखंड में 31 जनवरी 2024 तक शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 883,346 तक पहुंच गई है, जिसमें से सबसे ज्यादा तकरीबन एक लाख पोस्ट ग्रेजुएट युवा हैं.
उत्तराखंड में बेरोजगारी के पिछले पांच साल के आंकड़े:
- उत्तराखंड के अंदर साल 2019 तक 803,887 पंजीकृत बेरोजगार थे.
- साल 2020 में इस आंकड़े में थोड़ी कमी आई और पंजीकृत बेरोजगार की संख्या घटकर 778,077 हो गई.
- साल 2021 में आंकड़ा फिर बढ़ गया और प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 807,722 पहुंच गई.
- साल 2022 तक आते-आते प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों का आंकड़ा बढ़कर 879,061 पहुंच गया.
- मार्च साल 2023 तक उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा बढ़कर 882,508 तक हो गया.
- जनवरी साल 2024 तक की बात की जाए तो प्रदेश में इस समय 883,346 पंजीकृत बेरोजगार हैं.
यहां पंजीकृत बेरोजगार की संख्या की जो बात हो रही है, वो संख्या वह है, जिन्होंने सेवा नियोजन यानी एंप्लॉयमेंट ऑफिस में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. सेवा नियोजन कार्यालय में पंजीकरण न करने वाले युवाओं की संख्या भी ठीक-ठाक मानी जाती है. यानी अगर बेरोजगारों की बात करें तो प्रदेश में सेवा नियोजन विभाग के आंकड़े से कई ज्यादा युवा बेरोजगार होंगे.
मैदानी जिलों में संभावनाओं के साथ बेरोजगारी भी ज्यादा: बेरोजगारी के इन आंकड़ों में मैदानी जिले सबसे आगे हैं. सबसे ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार 121,628 देहरादून में हैं. वहीं दूसरे नंबर पर हरिद्वार है, जहां 113,110 पंजीकृत बेरोजगार हैं. तीसरे नंबर पर उधमसिंह नगर में 92,396 पंजीकृत बेरोजगार हैं.