लखनऊ :एक समय था जब लोग नया साल आते ही नई डायरी और ग्रीटिंग कार्ड को लेकर काफी उत्सुक दिखते थे. साल शुरु होने से पहले ही लोग एक दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ नई-नई डायरी और ग्रीटिंग कार्ड भेजते थे, लेकिन जब से मोबाइल लोगों के हाथों में आ गया है. डायरी और ग्रीटिंग कार्ड का दायरा सिमटता जा रहा है. अब लोग नया साल शुरु होने के एक दिन पहले ही मोबाइल पर एक अच्छा सा मैसेज फोटो सहित बनवाकर लोगों को एक साथ ग्रुप में भेज देते हैं. बीते 10 सालों में डायरी गिफ्ट करने के प्रचलन में करीब 50% की गिरावट आई है.
60 से 70 % लोग करते थे डायरी का इस्तेमाल :स्टेशनरी विक्रेता निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि पहले डायरी रखना बहुत से लोगों की आदत होती थी. लोग अपनी रोजाना की दिनचर्या, अपने विचार और यात्राओं का वृतांत आदि को डायरी में लिखते थे. आजकल लोग ब्लॉग या सोशल मीडिया पर अपने जीवन के अहम पलों को दर्ज करते हैं. हालांकि आज भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अपने अनुभव डायरी पर लिखना पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि करीब 60 से 70% लोग मिली हुई डायरी का प्रयोग अपने निजी कामों के लिए करते थे. पर टेक्नोलॉजी और मोबाइल के बढ़ते प्रयोग में उनके इस आदत को भी खत्म कर दिया विशेष तौर पर लिखने की आदत तो अब आम लोगों में समाप्त ही होती जा रही है.
सिर्फ एक से डेढ़ महीने का कारोबार :जितेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि डायरी का व्यापार कुल मिलाकर एक से डेढ़ महीने का है. दिसंबर के शुरुआत से ही लोग डायरी का ऑर्डर दे देते थे और जनवरी का दूसरा सप्ताह आते-आते यह व्यापार पूरी तरह से समाप्त हो जाता था. उन्होंने बताया कि डायरी लोगों के अपने व्यापार और काम को प्रमोशन करने का एक बेहतरीन साधन होता था. लोग थोक में डायरी खरीद कर उस पर अपने दुकान, व्यापार या काम की जानकारी प्रिंट कराकर अपने जानने वाले और मिलने आने वाले लोगों को देते थे. बीते 2-3 सालों में यह प्रचलन भी अब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है, उन्होंने बताया कि इसी साल करीब 30% मार्केट गिर गया है. 10 जनवरी तक डायरी की बिक्री पिछले साल की तुलना में काफी कम रही है.