बेतिया: आज कोई भी व्यक्ति बिजली के बगैर जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकता है, लेकिन बिहार के बेतिया में एक गांव ऐसा है जहां लोग आज भी अंधेरे में जीने को मजबूर हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर अपने भाषण में कहते रहते है कि राज्य में 'लालटेन युग' समाप्त हो गया है और उनकी सरकार ने राज्य के हर घर में बिजली पहुंचा दी है. लेकिन पश्चिमी चम्पारण जिले का गौनाहा प्रखंड क्षेत्र की जमुनिया पंचायत के वार्ड नंबर 9 के सोनहवा बाबा कुटी गांव में आजादी के बाद से आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है.
लालटेन व दीये के सहारे पढ़ते हैं बच्चे:सोनहवा बाबा कुटी गांव में एक दर्जन परिवार के करीब 60 लोग रहते है. ये लोग सरकार की मुलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित है. उनको बिजली जैसी मुलभूत सुविधाएं नही मिल पा रही है. जिसके कारण पढ़ाई करने वाले बच्चे लालटेन व दीये के सहारे पढ़ते हैं. गांव में पढ़ने वाले बच्चों ने बताया कि बिजली नहीं होने के कारण रात को हमारी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है. लालटेन की रोशनी में पढ़ना पड़ता है.
"इस गांव में बिजली उपलब्ध कराने के लिए न तो पोल है और न ही तार. यह गांव गेन्हरीया जंगल से सटे होने के कारण रात में जंगली जानवर भी गांव में घुस जाते है. बिजली के अभाव में लोग शाम होते ही अपने बच्चों के साथ अपने घरों के दरवाजे बंद कर दुबक जाते हैं."-शंभू मुखिया, ग्रामीण
दूसरे गांव से चार्ज कराते हैं बैट्री: शंभू मुखिया ने बताया कि मोबाइल चार्ज करने के लिए पास के गांव में जाना पड़ता है. मोबाइल चार्ज करने के लिए पैसे लगते हैं. दूसरे गांव से बैटरी चार्ज कराकर घर में रखते हैं ताकि इस रोशनी में हमारी पढ़ाई भी हो जाए और घर का खाना भी बन जाए. गांव की महिलाओं ने बताया कि बिजली के अभाव में हमें काफी परेशानी होती है.
चार्च और सोलर लाइट से जंगली जानवर पर रखते हैं नजर: उन्होंने कहां की हमने आज तक बिजली नहीं देखी है. किसी-किसी के पास सोलर टॉर्च व लाईट है जिससे जंगली जानवरों पर नजर रखा जाता है. गौनाहा बीडीओ शिवजन्म राम ने बताया की हर परिवार को बिजली पहुंचाना सरकार का लक्ष्य है. सोनहवा बाबा कुटी टोला गांव में बिजली नहीं है. इसकी जांच हो गई हैं. अगर बिजली नहीं होगी तो बिजली उपलब्ध कराया जाएगा.