पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके आठ मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हो गया है. अब सब की नजर 12 फरवरी पर है. 12 फरवरी को ही नीतीश सरकार अपना बहुमत सिद्ध करेगी. विधानसभा अध्यक्ष ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया. इसको लेकर बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ी हुई है. कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं. क्योंकि, तेजस्वी यादव ने कहा था 'खेला होगा'. राजनीतिक विश्लेषक भी कह रहे हैं कि राजनीति में कुछ भी संभव है. बीजेपी और जदयू के नेता दावा कर रहे हैं कि बहुमत उन लोगों के साथ है.
विधानसभा में क्या है आंकड़ा: बिहार विधानसभा में 243 विधायक हैं. उस हिसाब से 122 विधायक बहुमत के लिए चाहिए. एनडीए के पास अभी 128 विधायक हैं, जो बहुमत से 6 अधिक है. वहीं महा गठबंधन के पास 114 विधायक हैं. एआईएमआईएम के एक विधायक हैं. एक तरफ जहां एनडीए के पास बहुमत से 6 अधिक विधायक है तो वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के पास बहुमत से आठ विधायक कम है.
क्या है तेजस्वी का 'खेला': जीतन राम मांझी के चार विधायक हैं. जीतन मांझी दो मंत्री पद की मांग कर रहे हैं. उनके बयान को लेकर कई तरह की चर्चा है. उन्होंने यह भी कह दिया कि महागठबंधन की तरफ से उन्हें मुख्यमंत्री का ऑफर था. वहीं एक निर्दलीय विधायक सुमित सिंह है, जिन्हें नीतीश सरकार में फिर से मंत्री बनाया गया है. एआईएमआईएम के एक विधायक हैं. इस तरह से देखें तो 6 विधायक हो जाते हैं, जिस पर महागठबंधन की नजर है.
जदयू में नाराजगीः जदयू के कुछ विधायकों में नाराजगी है. गोपाल मंडल का बयान पार्टी लाइन से लगातार अलग आ रहा है. तेजस्वी यादव का बचाव भी कर रहे हैं. एनडीए सरकार बनने से पहले जदयू के टूटने की खबर लगातार सियासी गलियारों में थी. हालांकि एनडीए सरकार बनने के बाद अभी तक जदयू में कोई टूट नहीं हुआ है. नीतीश कुमार के नजदीकी एमएलसी संजय गांधी का कहना है कि हम लोग पूरी तरह से एकजुट हैं और बहुमत हम लोगों के पास है. 12 फरवरी को बहुमत सिद्ध भी करेंगे.
"जीतन राम मांझी का बयान कि मंत्रिमंडल में दो मंत्री का पद दिया जाए, चिंता बढ़ने वाला बयान है. जिस प्रकार से नीतीश कुमार ने उन्हें विधानसभा में अपमानित किया था, मांझी उसे भी भूले नहीं होंगे. इसके अलावा एआईएमआईएम के विधायक और निर्दलीय विधायक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. इसलिए नीतीश कुमार की सरकार के लिए चुनौती है. इससे भी बड़ी चुनौती विधानसभा अध्यक्ष को हटाने की है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक
बिहार में सियासी हलचलः ऐसे जदयू और बीजेपी के नेता लगातार कह रहे हैं कि उनके पास बहुमत है. जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन का कहना है कि वह एनडीए के साथ खुश हैं, तो यह भी एक राहत वाली बात है. लेकिन, लालू प्रसाद यादव राजनीति के बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं. इसलिए कई तरह के कयास लग रहे हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया है. फ्लोर टेस्ट के दिन उन्हें पटना भेजा जाएगा. चर्चा है कि 10 विधायक नीतीश कुमार के संपर्क में हैं. टूट से बचने के लिए कांग्रेस विधायकों को बिहार से बाहर भेजा गया है.
विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ चौथी बार अविश्वास प्रस्तावः 17 वीं विधानसभा में दूसरा मौका है जब विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है. यह भी पहली बार है जब एक विधानसभा की अवधि में दो बार ऐसा हुआ है. 2022 में जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ सरकार बनाए थे तो आरजेडी की ओर से विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. ऐसे यह चौथा अवसर है जब अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है. इससे पहले कांग्रेस के शिवचंद्र झा और बिंदेश्वरी प्रसाद वर्मा के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.