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शिमला-कांगड़ा NH निर्माण में पेड़ों पर चली कुल्हाड़ी, HC ने प्रत्यारोपण पर विचार करने को कहा

शिमला-कांगड़ा NH पर काटे जा रहे पेड़ों से जुड़े मामले का HC ने निपटारा किया. कोर्ट ने पेड़ों के प्रत्यारोपण पर विचार करने को कहा.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

शिमला:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विकासात्मक कार्यों के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की मंजूरी देने के बजाय उनके प्रत्यारोपण के लिए पर्याप्त प्रावधान करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण NHAI के साथ ही हिमाचल सरकार को आदेश दिए कि वो पेड़ों के संरक्षण और प्रत्यारोपण को लेकर दिल्ली सरकार के दिसंबर 2020 को जारी अधिसूचना को अपनाने या ऐसी ही एक नीति बनाने पर विचार कर सकते हैं.

प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला कांगड़ा नेशनल हाईवे के विस्तारीकरण के लिए काटे जा रहे पेड़ों से जुड़े मामले का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा, 'इस मामले में चूंकि पेड़ों की अवैध कटाई का कोई मामला नहीं पाया गया है, इसलिए हम प्रतिवादियों को अंधाधुंध कटाई की मंजूरी देने के बजाय पेड़ों के प्रत्यारोपण के लिए पर्याप्त प्रावधान करने का निर्देश देकर इस याचिका का निपटारा करना उचित समझते हैं'

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने बताया कि इस मामले में अवैध कटान का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन पेड़ों का प्रत्यारोपण कर पर्यावरण को होने वाले नुकसान को बचाया जा सकता था. इस पर खण्डपीठ ने कहा कि, 'हम एमिकस क्यूरी की इस बात पर पूरी तरह सहमत हैं. अब समय आ गया है कि जहां तक संभव हो पेड़ों को प्रत्यारोपित करके संरक्षित किया जाए.'

ईमेल पर हाईकोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान

इस संदर्भ में हाईकोर्ट को लिखे ईमेल पर मुख्य न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लिया था. ईमेल के माध्यम से बताया गया था कि शिमला कांगड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़ी क्रूरता से सैकड़ों पेड़ों को काटा जा रहा है. विशेषकर ज्वालाजी के पास अनेक पेड़ बिना मतलब से काटे गए हैं. पेड़ों को बचाने का कोई भी प्रयास नहीं किया जा रहा है. ज्वालाजी के पास बहुत से पेड़ ऐसे काट दिए गए जिन्हें सड़क के डिवाइडर के रूप में ज्यों का त्यों इस्तेमाल किया जा सकता था. पर्यावरण की समझ न रखने वालों के हवाले इस प्रोजक्ट को सौंपा गया है जो चंद पैसों के लिए प्रदेश के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. आम जनता और वन्य जीवों को ऐसा नुकसान पहुंचाया जा रहा है जिसकी भरपाई संबंधित अथॉरिटी द्वारा नहीं की जा सकती. हिमाचल में आई आपदा का जिक्र करते हुए ईमेल के माध्यम से बताया गया था कि 50 से 100 साल पुराने बेहद खूबसूरत पेड़ों को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया गया. प्रार्थी ने संतुलित विकास की दरकार की बात कहते हुए समय रहते उचित कदम उठाए जाने की मांग की थी.

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