देहरादून:देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में टाइगर की मौजूदगी को लेकर प्रसिद्ध उत्तराखंड का कॉर्बेट टाइगर रिजर्व विवादों के साये में है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ कटान ने इसकी छवि को खराब किया है. उधर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क के आसपास लगातार हो रहे निर्माण नए विवाद की वजह बनते दिखाई दे रहे हैं. अब सवाल ये ही है कि आखिरकार कॉर्बेट इतने विवादों में क्यों बना हुआ है और महकमा इसपर इतना लापरवाह क्यों बना हुआ है?
कॉर्बेट नेशनल पार्क का विवाद: कभी वाइल्डलाइफ के बेहतर हैबिटेट के रूप में जाना जाने वाला कॉर्बेट अब कई विवादों को लेकर पहचाना जा रहा है.. भारत ही नहीं दुनिया भर में इससे जुड़े विवादों के कारण इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के राष्ट्रीय उद्यान की छवि खराब भी हो रही है. वैसे तो कॉर्बेट अक्सर कई वजहों से विवादों में आया है, लेकिन पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण इसकी बदनामी की सबसे बड़ी वजह रहा है. उधर अब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास होने वाले निर्माण पर भी नया मामला शुरू हो गया है, जिसे NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में उठाया गया है.
एनजीटी ने केंद्र और राज्य से मांगा जवाब: खास बात यह है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के संवेदनशील क्षेत्र में हो रहे निर्माण पर अब एनजीटी ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के साथ ही उत्तराखंड सरकार से भी इस पर जवाब मांगा है. यही नहीं NTCA यानी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को भी इसके लिए नोटिस जारी किया गया है.
मशहूर शिकारी के नाम से पहचाना जाने वाला जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अब दूसरी कुछ गलत बातों के कारण सुर्खियों में रहता है. ये बात वाकई चिंताजनक है. खासतौर पर उन वन महकमे से जुड़े जिम्मेदारो के लिए जो इसके रक्षक के तौर पर नियुक्त किये गए हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को लेकर वह खास चर्चाएं जिसने पिछले कुछ सालों में इसे दिलाई सुर्खिया...
कॉर्बेट के आस पास के क्षेत्र में वैसे तो पहले ही बेहद ज्यादा निर्माण हो चुके हैं और अभी निर्माण का दौर जारी है. इसकी बड़ी वजह यह है कि कॉर्बेट देश और दुनिया भर के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहा है. लिहाजा ये पूरा क्षेत्र एक व्यावसायिक हब के रूप में भी स्थापित हुआ है. इस तरह देखा जाए तो इस पूरे इलाके में करोड़ों का बाजार कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कारण खड़ा हो गया है.