नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से हाल ही में पीएचडी में नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) के स्कोर पर दाखिला देने के लिए जारी किए गए निर्देश को लेकर छात्र संगठनों ने आपत्ति जताना शुरू कर दिया है. यह नियम इसी सत्र से जून महीने में नेट की परीक्षा आयोजित होने के बाद लागू किया जाएगा. फिर इसके आधार पर विश्वविद्यालयों द्वारा पीएचडी में दाखिला प्रक्रिया शुरू होगी.
यूजीसी द्वारा इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद अब एनटीए द्वारा इस बार नेट का परीक्षा परिणाम तीन कैटेगरी में जारी किया जाएगा. पहले यह दो कैटेगरी में जारी होता था. जेएनयू के प्रमुख छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने आपत्तियां जताई हैं. वहीं, नए नियम को लेकर अन्य छात्र संगठनों एसएफआई, एआईएसएफ, डीएसएफ और एनएसयूआई ने भी सवाल उठाए हैं.
आइसा ने जताईं ये आपत्तियां
- यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों में पीएचडी में दाखिले के लिए नेट के स्कोर और इंटरव्यू के अंकों को आधार बनाने से विश्वविद्यालयों की पीएचडी दाखिले के लिए अपनी-अपनी स्वायत्तता खत्म होगी.
- छात्र-छात्राओं को पीएचडी में दाखिले के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से जो कई बार मौका मिलता था वह अब खत्म हो जाएगा. इससे छात्रों को नुकसान होगा.
- पहले से कुछ विश्वविद्यालय नेट स्कोर के आधार पर भी जो दाखिला देते थे उससे छात्रों को पीएचडी में दाखिले के दो विकल्प मिल जाते थे. अब उनके पास सिर्फ एक ही विकल्प मौजूद होगा.
- पीएचडी में दाखिले के लिए छात्रों के पास किसी विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला लेना और अन्य विश्वविद्यालय में नेट के स्कोर के आधार पर दाखिला लेने के दो विकल्प होते थे.
वहीं, आइसा द्वारा आपत्तियां जताने को लेकर यूजीसी की तरफ से पीएचडी में दाखिले के लिए नेट स्कोर का नियम लागू करने से छात्रों को होने वाले कई फायदे भी गिनाए हैं.