जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि पूर्ण विकसित भ्रूण को भी दुनिया में प्रवेश करने और स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है. इसके साथ ही अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग के 31 सप्ताह के भ्रूण का अबॉर्शन कराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. वहीं, अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता की डिलीवरी कराने के संबंध में राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं.अदालत ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भ्रूण धड़कन सहित विकसित हो चुका है और गर्भपात कराना खतरनाक हो सकता है. जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह पीड़िता को बालिका गृह में भर्ती कर आवश्यक देखभाल, फूड और मेडिकल सहायता उपलब्ध कराए. इसके साथ ही बालिका गृह अधीक्षक पीड़िता के वयस्क होने तक उसे वहां रखे और इस दौरान उसे शिक्षा सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराए. अदालत ने एसीएस चिकित्सा को कहा है कि वह पीड़िता का सुरक्षित प्रसव कराने के लिए महिला नर्स नियुक्त करें. वहीं, महिला चिकित्सालय के अधीक्षक डिलीवरी से पहले और बाद के लिए समस्त चिकित्सा सुविधाएं बिना शुल्क उपलब्ध कराए.