जबलपुर : मध्य प्रदेश में 2 दिसंबर से 20 जनवरी तक धान खरीदी की जानी है और इसे लेकर तैयारी भी पूरी हो गई लेकिन धान खरीदी शुरू नहीं हो पाई है. धान खरीदी केंद्रो के बाहर बड़े पैमाने पर धान पहुंच भी गई है लेकिन वेयरहाउस मलिक धान खरीदी करने को तैयार नहीं हैं. वेयरहाउस मालिकों को कहना है कि धान खरीदने में और उसके भंडार में उन्हें घाटा लग रहा है. धान बहुत अधिक सूखती है और इसका पैसा उन्हें जब से देना पड़ता है.
मुफ्त में वेयरहाउस देने को तैयार, पर खरीदी नहीं
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि भारत सरकार की धानी की सूख को लेकर स्पष्ट नीति है इसलिए इस नीति के तहत ही धान खरीदी की जा सकती है. हालांकि, वेयरहाउस मालिकों का कहना है कि सरकार को वे मुफ्त में वेयरहाउस दे देंगे लेकिन धान खरीदी नहीं करेंगे. वेयर हाउस संगठन के अध्यक्ष सतीश शर्मा ने बताया, '' इस विषय में जबलपुर जिला प्रशासन के साथ बैठक हुई लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई. वेयरहाउस के मालिकों का कहना है कि यदि सरकार धान खरीदी करना चाहती है तो वह अपने वेयरहाउस मुफ्त में सरकार को देने को तैयार है लेकिन वह धान खरीदी नहीं कर पाएंगे. धान एक ऐसा अनाज है जिसमें बहुत अधिक सूख आती है.''
क्या है धान सूख का गणित?
उदाहरण के तौर पर जैसे किसी वेयरहाउस मालिक ने 100 किलो धान खरीदी और इसमें यदि नमी बहुत अधिक हुई तो सूखने के बाद इसका वजन 10 किलो तक घट सकता है यानी 10 प्रतिशत तक का नुकसान. जबकि सरकार केवल 2 प्रतिशत सूख ही घटाती है. यानी यदि सरकार ने वेयरहाउस में 100 किलो धान रखवाई है तो वह 98 किलो तक वापस लेगी. यदि सूख इसके नीचे जाती है, तो वह पैसा वेयरहाउस मलिक को अपने जेब से देना होगा. सतीश शर्मा का कहना है कि वे बीते सालों में 5 से 10 लाख रुपए तक जेब से दे चुके हैं इसलिए सरकार की नीति के अनुसार वे धान खरीदी नहीं कर सकते.