कानपुर: शहर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में रविवार देर शाम नजूल की जमीन पर कब्जे को लेकर दो पक्षों में जमकर विवाद हुआ. जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने 33 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. इन 33 लोगों में से कानपुर प्रेस क्लब के एक वरिष्ठ पदाधिकारी को भी शामिल किया गया. पुलिस का कहना है, कि पदाधिकारी द्वारा जमीन पर कब्जा करने को लेकर पिछले कई माह से कवायद चल रही थी.
हालांकि, पदाधिकारी को पूरी तरह से निर्दोष बताते हुए उनके समर्थन में देर रात शहर के तमाम पत्रकारों, अधिवक्ताओं और अन्य वर्ग के लोगों ने कोतवाली का घेराव किया. जहां पर पुलिस से धक्का मुक्की भी हुई. वहीं इस पूरे मामले पर पुलिस आयुक्त अखिल कुमार का कहना है, कि पुलिस ने जो भी कार्रवाई की है वह साक्ष्यों के आधार पर की है. नजूल की जमीन पर कुछ भू माफिया द्वारा कब्जा करने की जानकारी मिली थी, जिसमें जिला प्रशासन की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया है. मामले की जानकारी पर देर रात महापौर भी मौके पर पहुंची.
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लोगों का कहना करोड़ों रुपये की है जमीन: शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र में जिस जमीन पर कब्जा करने को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद हुआ, उसमें दोनों ही पक्षों का दावा है, की जमीन उनके नाम है. दोनों पक्षों के बीच यह मामला कोर्ट में भी पिछले काफी समय से लंबित है. ऐसे में जब कानपुर प्रेस क्लब के वरिष्ठ पदाधिकारी को पुलिस ने देर रात गिरफ्तार किया,तो पूरे मामले की जानकारी लेने के लिए कानपुर की मेयर प्रमिला पांडे भी कोतवाली पहुंच गई थी. हालांकि पूरे मामले पर डीसीपी पूर्वी एसके सिंह ने कहा, कि पुलिस की ओर से जो कार्रवाई की गई है. वह पूरी तरीके से साक्ष्यों के आधार पर ही हुई है. मौके पर जो कैमरे लगे थे, उनके डीवीआर भी गायब हैं.ऐसे में जो आसपास क्षेत्र में सीसीटीवी लगे हैं, उनके फुटेज जुटाए जा रहे हैं. फुटेज के आधार पर ही आगे की कार्रवाई भी की जाएगी.
पूरे शहर में इस मामले की चर्चा जोरों पर: कानपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में करोड़ों रुपये की नजूल की जमीन पर कब्जा करने के मामले को लेकर अब पूरे शहर में इसकी चर्चा जोरों पर हो रही है. इस मामले में सबसे अहम भूमिका लेखपाल विपिन कुमार की बताई जा रही है. विपिन कुमार की तहरीर पर ही कोतवाली में 33 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. लेखपाल विपिन कुमार का यह भी कहना है, कि नजूल की जमीन को वूमेंस वेलफेयर मिशनरी सोसायटी को 99 साल के पट्टे पर दी गई थी. जिसमें अनाथ बच्चों के लिए स्कूल संचालित होता था. 99 साल की समय अवधि समाप्त होने के बाद संपत्ति नजूल की हो गई. जिस पर राज्य सरकार का कब्जा है.
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