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30 वर्षों में कई नक्सलियों को बनाया टॉप कमांडर! दो टूटे कमरों में गुजर कर रहा परिवार - Naxalite Sitaram Rajwar

Naxal in jharkhand. पलामू पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए नक्सली सीताराम रजवार ने पूछताछ में कई खुलासे किए हैं. उसने नक्सली बनने पर अफसोस भी जताया है. पूछताछ में उसने बताया है कि किस तरह वहां शोषण किया जाता है.

Naxalite Sitaram Rajwar made important revelations during interrogation by Palamu police
नक्सली सीताराम रजवार को पेश करती एसपी रीष्मा रमेशन (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 19, 2024, 1:16 PM IST

पलामूः 'बहन जी और भाई जी काफी अच्छे हैं काश दोनों से पहले मुलाकात हुआ रहता. 30 वर्ष माओवाद को दिया लेकिन कुछ हासिल नहीं है'. यह अफसोस दो दर्जन से अधिक जवानों के शहीद होने की घटना में शामिल इनामी माओवादी सीताराम रजवार कर रहा था. सीताराम रजवार माओवादीयों का जोनल कमांडर था और बिहार के औरंगाबाद के एनटीपीसी थाना क्षेत्र के रहने वाला है.

जानकारी देतीं एसपी रीष्मा रमेशन (ईटीवी भारत)

कुछ दिनों पहले पलामू पुलिस ने सीताराम रजवार को हुसैनाबाद के झरगड़ा के जंगल से गिरफ्तार किया है. सीताराम रजवार 30 वर्ष से अधिक नक्सल संगठन भाकपा में सक्रिय रहा था. उस पर झारखंड और बिहार में 60 से भी अधिक नक्सली घटनाओं को अंजाम देने का आरोप है. इन घटनाओं में दो दर्जन से भी अधिक पुलिस एवं सुरक्षाबलों के जवान शहीद हुए हैं.

दो कमरों में गुजारा कर रहा परिवार, पुलिस पहुंची तो नमक और चावल खा रहा था परिवार

गिरफ्तारी के बाद पुलिस की टीम सर्च अभियान के लिए बिहार के औरंगाबाद के एनटीपीसी थाना क्षेत्र स्थित सीताराम रजवार के घर पर पहुंची थी. सीताराम रजवार का दो कमरों का घर था और परिवार के सदस्य नमक और चावल खा रहे थे. सीताराम रजवार की दो बेटी है, जिसमें से एक की शादी हो गई है, जबकि दूसरी की शादी होनी है. सीताराम रजवार के परिवार से जुड़े अन्य सदस्यों को अच्छा घर और रोजगार है. उसका परिवार मजदूरी कर रहा है. सीताराम रजवार पर झारखंड सरकार ने 10 लाख रुपए जबकि बिहार की सरकार ने तीन लाख रुपए का इनाम रखा था.

दर्जनों माओवादियो का दी ट्रेनिंग, लेवी पर कुछ लोगों का कब्जा

सीताराम रजवार 30 वर्षों तक माओवादी दस्ता में शामिल रहा. इस दौरान उसने दर्जनों कमांडरों को ट्रेनिंग दी. उसने पुलिस को बताया कि जिस दस्ते को उसने ट्रेनिंग देकर खड़ा किया था उस दस्ते के कमांडर उससे बड़े हो गए थे. नितेश यादव, संजय गोदराम को उसने ने ट्रेनिंग दी थी लेकिन दोनों माओवादी के नीचे वह था. उसे इस्तेमाल किया गया था.

लेवी पर सिर्फ नितेश यादव का कब्जा, नहीं दी जाती थी कोई जानकारी

सीताराम रजवार ने पुलिस की पूछताछ के दौरान यह बताया है कि लेवी पर सिर्फ नितेश यादव का कब्जा रहता है. नितेश यादव और संजय गोदराम मिलकर लेवी वसूलते हैं. दोनों की जातिगत पकड़ है, जिस कारण दूसरे नक्सलियों को लेवी से अलग रखा जाता है. नितेश लेवी लेने के लिए अकेले जाता था. कोई मिलने आता तो उसे संतरी पर लगाया जाता है. लेवी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती थी.

जरूरत पड़ने पर दिए जाते थे तीन से चार हजार रुपए

सीताराम रजवार ने पूछताछ के दौरान यह बताया है कि उसे कभी कुछ पैसों की जरूरत होती ही थी. उसे नितेश यादव तीन से चार हजार रुपए देता था. वह कभी अपने परिवार को पैसे नहीं भेज पाया था. एक और माओवादी राजेंद्र सिंह को भी तीन हजार रुपए महीने दिए जाते थे. लेवी पर कुछ ही लोगों का कब्जा है.

-नक्सलियों का वास्तविक चेहरा दुनिया के सामने आया है. कुछ लोग लेवी के पैसे के लिए लोगों का इस्तेमाल कर रहे हैं. पुलिस अभियान चला रही है साथ ही साथ यह अपील कर रही है कि नक्सली मुख्यधारा में शामिल हो. - वाईएस रमेश, डीआईजी, पलामू

- पुलिस की पूछताछ में यह बात सामने आई है कि लेवी पर कुछ ही लोगों का कब्जा है. सीताराम रजवार की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब थी. परिवार सदस्य मजदूरी कर रहे थे. पुलिस यह लगातार अपील कर रही है कि नक्सली संगठन सदस्य मुख्यधारा में शामिल हो और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं. कुछ लोग लेवी के पैसे के लिए अन्य लोगों का इस्तेमाल कर रहे हैं.- रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

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