सरायकेला: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा मंगलवार को सरायकेला पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने बैठक कर अनुसूचित जनजातियों के लिए चलाई जा रहे विभिन्न योजनाओं की जानकारी ली. साथ ही अनुसूचित जाति की सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में उन्नति के लिए विभागीय पदाधिकारियों को कई निर्देश दिए.
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने सर्वप्रथम समहरणालय सभा कक्ष में आदिवासी संगठन के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की. लगभग 2 घंटे तक बातचीत के दौरान उन्होंने जिले में आदिवासियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी ली.
एसटी योजनाओं की समीक्षा की
इसके पश्चात एसी कमीशन की सदस्य ने सरायकेला डीसी रवि शंकर शुक्ला, डीडीसी प्रभात कुमार और संबंधित विभागों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक भी लगभग ढाई घंटे तक चली. जिसमें आशा लकड़ा ने जिले में अनुसूचित जनजातियों के उत्थान की दिशा में चलाई जा रही योजनाओं के बारे में पदाधिकारियों से जानकारी ली.
योजनाओं में खानापूर्ति का लगाया आरोप
आयोग के सदस्य ने बैठक के उपरांत प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने बताया कि जिले में अनुसूचित जनजातियों के उत्थान की दिशा में चलाई जा रही योजनाओं की प्रगति अच्छी नहीं है. राज्य सरकार सिर्फ योजनाओं को लेकर खानापूर्ति कर रही है. उन्होंने कहा कि राशि खर्च हो रही है, लेकिन कार्यों में सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. उन्होंने कहा कि जिले में जनजातीय विद्यालय की स्थिति बेहद खराब है.
एसटी स्कूल के बच्चों को राज्यपाल का नाम पता नहीं
डॉ आशा लकड़ा ने बताया कि यहां आने के क्रम में अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय संजय का निरीक्षण किया गया. इस क्रम में उन्होंने बच्चों से कुछ सवाल भी पूछे. उन्होंने कहा कि बच्चों को दोहा तक याद नहीं है, प्रार्थना भी बच्चे नहीं बोल पा रहे हैं. बच्चों से राज्यपाल के बारे में पूछा गया तो बच्चे नहीं बता पाए. यहां तक की शिक्षकों से भी पूछा गया तो शिक्षक राज्यपाल का नाम नहीं बता पाए.
स्कूल के बच्चों को नहीं मिली ड्रेस और किताबें
साथ ही वर्ग 8 के बच्चों को स्कूल ड्रेस और किताबें भी नहीं मिली हैं. बच्चों को बेड, मच्छरदानी, पेयजल भी उपलब्ध नहीं है. यहां तक की विद्यालय और हॉस्टल की साफ सफाई भी नियमित नहीं होती है. शौचालय भी काफी गंदा है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत योजनाएं चलाई जाती हैं, उस देश में विद्यालयों की ऐसी हालत है.