कानपुर :गन्ना किसानों को अब गन्ने से चीनी बनाने के साथ ही कई अन्य तरह के उत्पादों को बनाने की जानकारी दी जाएगी. जिसमें किसान नॉन फूड बायोमास (गन्ने की खोई, जड़, तना आदि) का उपयोग कर सकेंगे. इसमें उनकी लागत बिल्कुल नहीं लगेगी, जबकि जो उत्पाद शुगर फैक्ट्रियों में बनेंगे उसके एवज में किसानों को कुछ राशि जरूर मिल सकेगी.
कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में मंगलवार को आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में यह जानकारी स्प्रे इंजीनियरिंग डिवाइसेस लिमिटेड (एसईडीएल) के चेयरमैन विवेक वर्मा ने दी. जिसका विषय- प्लानिंग एंड अॉप्टिमाइजेशन आफ रिसोर्सेस फॉर बायोएनर्जी रखा गया था. उन्होंने बताया कि अभी तक किसानों के पास इस तरह की जानकारी नहीं थी. उक्त उत्पादों को दुनिया के अंदर क्रूड ऑयल की मदद से बनाया जाता है. ऐसे में जब भारत के अंदर हम गन्ने से ही यह उत्पाद बना लेंगे, तो इसका पूरे देश में व्यापक असर पड़ेगा. गन्ना किसानों की आय दोगुनी होगी. साथ ही देश के लिए अभी तक जो यूरिया, पेपर, एथेनॉल, पॉली एथिलीन का आयात होता है, उसमें काफी हद तक लगाम लग सकेगी.
पराली जलना होगी कम, शामली में लगाया गया गुड़ का प्लांट : विशेषज्ञ विवेक वर्मा ने बताया कि किसान अभी गन्ने का उपयोग करने के बाद पत्तियां, खोई, तने का भाग समेत अन्य वेस्ट भाग को पराली के तौर पर जला देते हैं. अब उन्हें ऐसा करने से रोका जाएगा. इससे जहां वायु प्रदूषण पर काफी हद तक लगाम लगेगी. वहीं किसानों की आय में भी वृद्धि हो सकेगी. इस कड़ी में शामली में गुड़ का प्लांट लगाया गया और वहां नॉन फूड बायोमास से यूरिया समेत अन्य उत्पादों को तैयार करने की दिशा में कवायद शुरू कर दी गई है.