शिक्षा के केंद्र के रूप में कार्य कर रहा नेशनल रेल म्यूजियम (ETV BHARAT) नई दिल्लीः हर वर्ष 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (international Museum Day) मनाया जाता है. यदि इतिहास को सही समय पर सही जगह संरक्षित ना किया जाए तो वह खो जाता है. दिल्ली के नेशनल रेल म्यूजियम में देशभर से रेलवे के हेरिटेज को लाकर संरक्षित किया गया है. यहां पर देशभर से लोग रेलवे के इतिहास को जानने समझने और उनपर रिसर्च करने के लिए आते हैं. यहां पर 19वीं सदी के लोकोमोटिव से लेकर अब तक की रेलवे की वस्तुओं को संरक्षित किया गया है. यह नेशनल रेल म्यूजियम एक शिक्षा के केंद्र के रूप में भी काम कर रहा है.
देशभर से रेलवे के हैरिटेज को लाकर संरक्षित किया गया है :7 अक्टूबर 1971 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने नेशनल रेल म्यूजियम की आधारशिला रखी थी. 1 फरवरी 1977 को तत्कालीन रेल मंत्री कमलापति त्रिपाठी ने नेशनल रेल म्यूजियम का उद्घाटन किया था. नेशनल रेल म्यूजियम में पूरे देश के रेलवे से हेरिटेज इंपॉर्टेंट की चीजों को लाकर संरक्षित किया गया है. नेशनल रेल म्यूजियम को वर्ल्ड क्लास बनाने का प्लान है इसको लेकर अभी काम चल रहा है. हेरिटेज के साथ नेशनल रेल म्यूजियम को आधुनिक का रूप दिया जाएगा. नेशनल रेल म्यूजियम में रोजाना करीब 1000 लोग आते हैं. यहां पर टॉय ट्रेन, रेस्टोरेंट समेत अन्य सुविधाएं हैं.
नेशनल रेल म्यूजियम में भारतीय रेलवे के हेरिटेज संरक्षित (ETV BHARAT) म्यूजियम में सबसे पुराना है रामगोटी इंजन :नेशनल रेल म्यूजियम में सबसे पुराना लोकोमोटिव रामगोटी है. नलहटी आजमगढ़ वेस्ट बेंगल के आखिरी जनरल मैनेजर रामगोटी मुखर्जी के नाम पर इस श्लोक को मोटिव का नाम रामकोटि रखा गया है. ये लोकोमोटिव 1862 में पेरिस की कंपनी से बनकर आया था. वर्ष 1892 में ईस्ट इंडियन रेलवे ने जब उसे लाइन को टेकओवर किया इसके बाद इस लोकोमोटिव को जमालपुर वर्कशॉप में भेज दिया गया. बाद में इसे कोलकाता कारपोरेशन को बेच दिया गया. बाद में ये इंजन स्क्रैप में मिला उसे रेस्क्यू कर लाया गया. अब यह इंजन नेशनल रेल म्यूजियम दिल्ली में संरक्षित किया गया है.
1 फरवरी 1977 को नेशनल रेल म्यूजियम का उद्घाटन (ETV BHARAT) 100 साल तक के रेल इंजन को यहां किया गया संरक्षित :यहां 1862 से 100 साल तक के रेल इंजन संरक्षित करके रखे गए हैं जो भाप और डीजल से चलने वाले इंजन है. इनमें तमाम राजाओं के सलून भी हैं. 1909 में पंजाब में चलने वाली मोनो रेल भी नेशनल रेल म्यूजियम में है, जिसकी विशेषता यह है कि इस ट्रेन का एक पहिया पटरी दूसरा रोड पर चलता है. एक मोनो इंडिया में बना फर्स्ट एसी लोकोमोटिव इंजन जिसका नाम विधान है वह भी नेशनल रेल म्यूजियम में रखा गया है.
म्यूजियम में सबसे पुराना है रामगोटी इंजन (ETV BHARAT) म्यूजियम में रखें डीजल के कुछ इंजन अभी भी वर्किंग :म्यूजियम में रखें डीजल के कुछ इंजन अभी भी वर्किंग हैं. नेशनल रेल म्यूजियम के डायरेक्टर दिनेश कुमार गोयल ने कहा कि इतिहास को संरक्षित करने में म्यूजियम का बहुत बड़ा रोल होता है. इतिहास की चीजों को यदि सही समय पर सही जगह संरक्षित नहीं की जाए तो वह खो जाती हैं. इसके साथ ही इतिहास भी खो जाता है. इसलिए म्यूजियम का होना बहुत जरूरी है.
नेशनल रेल म्यूजियम में 100 साल तक के रेल इंजन संरक्षित करके रखे गए (ETV BHARAT)
अजमेर में बना भारत का पहला लोकोमोटिव भी म्यूजियम में है खड़ा :वर्ष 1895 में अजमेर वर्कशॉप में एफ 1734 लोकोमोटिव बना था. यह लोकोमोटिव राजपूताना मारवाड़ रेलवे के लिए बनाया गया था. ये भाप से चलने वाला इंजन था. इससे पहले लोकोमोटिव के विदेश से पार्ट्स आते थे और भारत में असेंबल किए जाते थे.
रिसर्च करने वालों को भी रेल म्यूजियम से मिलती हैं मदद (ETV BHARAT) रिसर्च करने वालों को भी रेल म्यूजियम से मिलती हैं मदद: नेशनल रेल म्यूजियम में पुरानी किताबें रखी गई है जिनमें रेलवे का पूरा इतिहास दर्ज है. भारतीय रेलवे की कैसे शुरुआत हुई और कैसे साल दर्शन विकास होता गया. इन सब पर किताबें हैं. इसके साथ ही इंजन के मॉडल बनाकर म्यूजियम में रेलवे के इतिहास को भी दिखाया गया है. बड़ी संख्या में रिसर्च करने वाले लोग भी आते हैं. रेल म्यूजियम की ओर से उन्हें सारी जानकारी मुहैया कराई जाती है. नेशनल रेल म्यूजियम के डायरेक्टर दिनेश कोयल ने बताया कि हमारा जो आर्काइव है उसे ऑनलाइन किया गया है.
म्यूजियम में रखें डीजल के कुछ इंजन अभी भी वर्किंग हालत में (ETV BHARAT) ये भी पढ़ें :रेल लाइन बिछाने में छूट गये थे ब्रिटिश इंजीनियरों के पसीने, हिमाचली फकीर ने लठ से रच दिया था इतिहास
क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस :18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य अपनी सांस्कृतिक कलाकृतियों और इतिहास से लोगों को रूबरू कराना है. 1977 में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (आईसीओएम) द्वारा इस दिवस को मनाने की घोषणा की गई थी. इस परिषद की स्थापना 1946 में हुई थी. जो संग्रहालय गतिविधियों के नैतिक मानकों को स्थापित करता है. इसका मुख्यालय फ्रांस के पेरिस में है.
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