रायपुर:आज ब्रह्म ऋषि भगवान नारद जी की जयंती है. शास्त्रों के अनुसार नारद जी ने कठोर तपस्या के बाद स्वर्ग लोक में ब्रह्म ऋषि का पद प्राप्त किया था. इसके साथ ही नारद मुनि को तीनों लोकों में भ्रमण करने का वरदान भी प्राप्त था. नारद ब्रह्माजी के मानस पुत्र और ब्रह्मांड का संदेश वाहक थे. यही कारण है कि दुनिया के पहले पत्रकार के रूप में नारद मुनि को जाना जाता है. हर साल ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि आज ही के दिन नारद मुनि का जन्म हुआ था.
भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते थे नारद: शास्त्रों के अनुसार नारद जी ने कठोर तपस्या के बाद स्वर्ग लोक में ब्रह्म ऋषि का पद प्राप्त किया था. भगवान नारद मुनि सदैव विष्णु भक्ति में लीन रहते थे. नारद जयंती पर भगवान नारद की पूजा करने से ज्ञान और सुख- शांति की प्राप्ति होती है. नारद जयंती के बारे में रायपुर के महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला कहते हैं कि "देवर्षि नारद जी का प्राकट्य ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था. इसलिए इस दिन को नारद जयंती के रूप में मनाई जाती है. शास्त्रों में यह बताया गया है कि नारद जी पहले एक दासी पुत्र हुआ करते थे. संत और महात्माओं के साथ रहते हुए, उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ. भगवान का कीर्तन करते रहे और समय बीतने के साथ ही महाप्रलय के दौरान नारद जी भगवान नारायण का कीर्तन और भजन करते हुए इस संसार से विलीन हो गए. उसके बाद नारद जी का जब दूसरा जन्म हुआ तो नारद जी ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में पहचान मिली. जिसे वर्तमान युग में लोग ब्रह्म ऋषि नारद के नाम से लोग जानते हैं."