नैनीताल: नंधौर समेत प्रदेश की अन्य नदियों का चैनलाइजेशन और बाढ़ राहत के कार्य न करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई की. इसी दौरान नंधौर नदी के मामले में राज्य सरकार ने पूर्व के आदेश का पालन करते हुए आपदा राहत कोष से नदी का चैनलाइजेशन करने के लिए 20 लाख रुपए स्वीकृत होने का शपथ पत्र कोर्ट में पेश किया. जिस पर याचिकाकर्ता ने भुवन चंद्र पोखरिया राज्य सरकार की तरफ से दायर शपथ पत्र पर संतोष व्यक्त किया.
याचिकाकर्ता भुवन चंद्र पोखरिया ने कही ये बात:याचिकाकर्ता भुवन चंद्र पोखरिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने उनके क्षेत्र को बचाने के लिए जो अपना महत्वपूर्ण समय उन्हें दिया, वो अमूल्य था. वो और उनके क्षेत्रवासी हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं. न्यायिक क्षेत्र में उनको बचाने के लिए लड़ाई लड़ी और आज पीड़ितों को न्याय मिला. आज मैं नहीं, वो लोग जीते हैं, जिनकी भूमि हर साल बह जाती थी.
दरअसल, समाजसेवी भुवन चंंद्र पोखरिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि नंधौर नदी समेत गौला, कोसी, गंगा और दाबका नदी में हो रहे भू कटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध हो रहे हैं. उनका अभी तक चैनलाइजेशन न करने से आबादी वाले क्षेत्रों में जल भराव और भू कटाव हो रहा है. इस मामले में हाईकोर्ट पूर्व आदेशों का अनुपालन भी नहीं किया गया.
इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ता को जो पूर्व में आरटीआई के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराई गई थी, उसका सत्यापन करके उसकी प्रति याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराएं. साथ उस पर राज्य सरकार ने अभी तक क्या निर्णय लिया, उसकी भी प्रति याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराएं. जो सूचना उन्हें उपलब्ध कराई गई, उससे स्पष्ट हो गया कि वन विभाग ने 1 जनवरी 2023 से 5 मई 2024 तक कोई रिवर ड्रेजिंग का काम ही नहीं किया.
याचिका में ये भी कहा गया था कि 15 जून के बाद मानसून सत्र शुरू हो जाएगा. लिहाजा पूर्व के आदेशों का पालन जल्द कराया जाए. ताकि, पूर्व में आई आपदा जैसी घटना फिर से घटित ना हो. राज्य सरकार को फिर से निर्देश दिए जाएं कि मानसून सत्र शुरू होने से पहले पूर्व के आदेशों का पालन कराया जाए, न कि मानसून सत्र समाप्त होने के बाद.
पिछले साल बारिश में नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़ और सरकारी योजनाएं बह गई थी. नदियों का चैनलाइजेशन नहीं करने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर लिया था. जिसकी वजह से उधमसिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की और देहरादून में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी. बाढ़ से कई पुल बह गए हैं. आबादी वाले क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही रही. सरकार ने नदियों के मुहाने पर जमा गाद, बोल्डर और मलबा को नहीं हटाया गया. जबकि, पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर उनकी ओर से डीएम नैनीताल और हरिद्वार के खिलाफ याचिका दायर की है.
ये भी पढ़ें-