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हल्द्वानी अतिक्रमणकारियों को HC से राहत, नया नोटिस जारी करेगा नगर निगम - nainital high court

Nainital High Court नैनीताल हाईकोर्ट में आज हल्द्वानी में अतिक्रमणकारियों को 21 अगस्त को दिये नोटिस पर सुनवाई हुई. इसी बीच नगर आयुक्त ने कोर्ट से अतिक्रमणकारियों का पक्ष सुनने के लिए दस दिन का समय देने और नया नोटिस जारी करने की बात कही.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 23, 2024, 3:11 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी का सौंदर्यीकरणऔरसड़क चौड़ीकरण के मामले में नगर निगम व लोक निर्माण विभाग की तरफ से अतिक्रमणकारियों को 21 अगस्त को दिये नोटिस पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने नगर आयुक्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा. नगर आयुक्त ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि अतिक्रमणकारियों का पक्ष सुनने के लिए दस दिन का समय देकर नया नोटिस दिया जाएगा. फिलहाल कोर्ट ने अतिक्रमणकारियों को फौरी राहत दे दी है.

नगर निगम व लोक निर्माण विभाग ने उन्हें नोटिस जारी कर 23 अगस्त तक चिन्हित अतिक्रमण को स्वयं हटाने को कहा था. प्रार्थनापत्र में कहा कि 20 अगस्त को माननीय उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कहा था कि अगर किसी अतिक्रमणकारी का हित प्रभावित होता है तो, वे उचित फोरम या कोर्ट में जा सकते हैं. अभी तक कोर्ट का आदेश तक नहीं आया ऊपर से निगम व लोक निर्माण विभाग ने बिना आदेश के उन्हें 23 अगस्त तक स्वयं चिन्हित अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए, उनको सुनवाई के मौका तक नहीं दिया. जिस पर पर कोर्ट ने नगर आयुक्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा.

मामले के अनुसार हल्द्वानी की नया सवेरा सोसाइटी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि ये कार्रवाई 29 दिसंबर 2023 से शुरू हुई, जिसके तहत हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने और सड़क चौड़ीकरण का काम ठीक से नहीं किया जा रहा है. इसमें प्रशासन ने महज खानापूर्ति की है, जिसके कारण मंगल पड़ाव और नैनीताल बरेली बस अड्डा अभी भी जैसा का तैसा बना हुआ है, जिसकी वजह से हर जगह पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बन रही है. इससे क्षेत्रीय जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. याचिका में कहा गया कि जिला प्रशासन द्वारा सड़क चौड़ीकरण की जद्द में आ रही सरकारी संपत्तियों को तो हटा दिया गया, लेकिन निजी भूमि में बने होटलों और दुकानदारों को महज नोटिस जारी कर फॉर्मेलिटी की गई है.

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