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रहस्यमयी बाघमाड़ा गुफा, रह सकते हैं 2 हजार से ज्यादा लोग, कई साल से तपस्या कर रहे ये बाबा

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ में स्थित बाघमाड़ा गुफा लोगों की आस्था और साधना का केंद्र है. यह पूरा इलाका आयुर्वेद का भंडार भी कहलाता है.

MANENDRAGARH CHIRMIRI BHARATPUR
मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 7, 2024, 2:06 PM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर:जनकपुर के पास चांग देवी मंदिर से करीब 8 किलोमीटर की यात्रा के बाद, एक पथरीला रास्ता रैद की ओर जाता है. इसी रास्ते से बाघमाड़ा गुफा तक पहुंचा जा सकता है. इस गुफा में पिछले 18 सालों से सफेद वस्त्र धारण किए एक बाबा तपस्या में लीन मिलते हैं. उनका नाम लोक राम बंजारे है. सालों से इस गुफा में बाबा अपनी साधना कर रहे हैं.

18 साल से तपस्या कर रहे बाबा: बाघमाड़ा गुफा अब लोगों की आस्था का केंद्र बन गई है. दूर दूर से लोग यहां पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि यहां आकर जो भी मन्नत मांगते हैं वो पूरी होती है. बाघमाड़ा गुफा के आसपास के गांव के दुर्गा प्रसाद केवट बताते हैं कि ये काफी अच्छी जगह है. लेकिन जंगल के काफी अंदर होने के कारण यहां आने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. केवट बताते हैं कि बाघ माड़ा आने वाले हर किसी की मन की इच्छा जरूर पूरी होती है.

मनेंद्रगढ़ में रहस्यमयी बाघमाड़ा गुफा (ETV Bharat Chhattisgarh)

सालों से लोग आ रहे हैं. आने में मुश्किल होती है लेकिन यहां आने वाले हर किसी की इच्छा जरूर पूरी होती है: दुर्गा प्रसाद केवट, स्थानीय

जड़ी-बूटियों का खजाना है बाघ माड़ा का यह क्षेत्र:यह गुफा सिर्फ बाबा की तपस्या का केंद्र नहीं है, बल्कि यहां की पहाड़ियों में औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटियां भी पाई जाती हैं. यहां के लोग मानते हैं कि एक पत्ती चबाने से व्यक्ति 24 घंटे तक बिना भोजन-पानी के रह सकता है. इन औषधियों के प्रभाव को देखकर इस स्थान को लोग आयुर्वेद का भंडार कहने लगे हैं. जंगली जानवरों के खतरे के बावजूद बाबा का गुफा में बैठकर तपस्या करना एक रहस्यमय आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां के लोगों का मानना है कि एक पत्ती चबाने से व्यक्ति 24 घंटे तक बिना भोजन-पानी के रह सकता है.

18 साल से बाघ माड़ा में तप कर रहे बाबा (ETV Bharat Chhattisgarh)

स्थानीय उमाशंकर सिंह बताते हैं कि जब बाबा 17 से 18 साल पहले आए तो कुछ दिन रहने के बाद सीतामढ़ी चले गए. लेकिन वह वहां ज्यादा दिन नहीं रहे और फिर वापस इस इलाके में पहुंचे. बाबा जी को हमने उस समय कई गुफाए दिखाई लेकिन वो उन्हें पसंद नहीं आया. उन्हें बाघ मा़ड़ा गुफा पसंद आई. गुफा की सफाई कराने के बाद बाबा यहीं निवास कर रहे हैं. बाबा जी गुफा के अंदर लगभग 18 साल से तप कर रहे हैं. गुफा के अंदर 500 मीटर दूर तप करते हैं.

घने जंगल में है बाघ माड़ा की गुफा (ETV Bharat Chhattisgarh)

गुफा इतनी बड़ी है कि इसमें से 2 से 3 हजार लोग रह सकते हैं. गुफा के अंदर काफी संख्या में बड़े बड़े सांप, बिच्छु और गोह रहते हैं. हालांकि अब तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है. बाबा जी किसी से कुछ मांगते नहीं है. जंगल में जो मिलता है उसी को ग्रहण करते हैं. यहाां आने वाले लोगों की मनमुराद जरूर पूरी होती है.: उमाशंकर सिंह

आध्यात्म की खोज के लिए बाबा का तप:बाबा बताते हैं कि पहले जैसे प्राचीन ऋषि-मुनि भगवान और आध्यात्म की खोज के लिए तप करते थे ठीक उसी तरह वह भी आध्यात्मिक खोज के लिए तपस्या कर रहे हैं. बाबा लोक राम बताते हैं कि इस क्षेत्र के बड़े बुजुर्गों के मुताबिक इस गुफा में बड़ी संख्या में बाघ रहते थे इस वजह से इसका नाम बाघ माड़ा पड़ा. बाबा बताते हैं कि अब बाघ तो नहीं आते लेकिन भालू अक्सर दिख जाते हैं.

आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र बना बाघ माड़ा (ETV Bharat Chhattisgarh)

लगभग 17 से 18 साल पहले जब गुफा की सफाई की गई तो काफी संख्या में हड्डियां मिली, लेकिन ये नहीं पता चल पाया कि वह हड्डियां बाघ की है या किसी और जानवर की: लोक राम बंजारे, बाबा

इस गुफा में बाघ रहते थे. अब बाघ नहीं रहते हैं. लेकिन भालू औ सुअर घूमते रहते हैं :दादानी, स्थानीय ग्रामीण


भरतपुर में कई छिपे हुए पर्यटन स्थल: बाघमाड़ा गुफा के अलावा भरतपुर में ऐसे कई स्थान है जो ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखते हैं. यदि इन्हें पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाए, तो यहां के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर मिल सकते हैं. सरकार के प्रयासों से यह क्षेत्र न सिर्फ एक पर्यटन स्थल के रूप में उभर सकता है, बल्कि इससे यहां के लोगों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं.

यहां के जंगल में मिलते हैं कई तरह के औषधि वाले पेड़ पौधे (ETV Bharat Chhattisgarh)
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