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मानिला में है उत्तराखंड के देवी देवताओं का संग्रहालय, घने जंगलों के बीच विराजमान हैं अपार 'शक्तियां' - Museum of Gods in Almora

MUSEUM OF GODS IN ALMORA अल्मोड़ा के सल्ट में देवदार और चीड़ के घने जंगलों के बीच ऊंची चोटी में स्थित मां मानिला देवी मंदिर है. वर्ष 1488 में कत्यूरी राजा ब्रह्मदेव ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर में काले पत्थर से निर्मित दुर्गा माता और भगवान विष्णु की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं. मंदिर के पास ही उत्तराखंड के प्रमुख लोक देवी देवताओं का संग्रहालय बनाया गया है.

MUSEUM OF GODS IN ALMORA
अल्मोड़ा में उत्तराखंड के देवी देवताओं का संग्रहालय (PHOTO- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 18, 2024, 4:41 PM IST

Updated : Sep 18, 2024, 4:50 PM IST

रामनगर: हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड पवित्र गंगा, यमुना, सरस्वती समेत अनेक नदियों का उद्गम स्थल है. उत्तराखंड भगवान शिव का ससुराल है और गणपति भगवान का ननिहाल है. उत्तराखंड में बदरीनाथ-केदारनाथ, गंगोत्री-यमुनोत्री धाम मंदिर हैं. उत्तराखंड में ही पंच बदरी, पंच केदार और पंच प्रयाग भी स्थित हैं. इसके अलावा भी उत्तराखंड में कई शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर हैं, जिनकी कई अलौकिक कथाएं हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड को देवों की भूमि अर्थात देवभूमि भी कहा जाता है. इन देवी देवताओं का अल्मोड़ा में एक संग्रहालय बनाया गया है. खास बात है कि संग्रहालय पानी के टैंक के ऊपर बना है.

मानिला में है उत्तराखंड के देवी देवताओं का संग्रहालय (VIDEO -ETV Bharat)

अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में शक्तिपीठ मां मानिला देवी मंदिर स्थित है. मंदिर के पास ही एक हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा का देवी-देवताओं का संग्रहालय बनाया गया है. जिसमें उत्तराखंड में 15 लोक देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. साथ ही उनके बारे में जानकारी दी गई है. खास बात है कि ये संग्रहालय 2 लाख लीटर वाले पानी के टैंक ऊपर बना है.

शक्तिपीठ मानिला देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष नंदन सिंह मनराल का कहना है कि जल सबसे पवित्र माना जाता है. जल के ऊपर ही अगर उत्तराखंड के लोक देवी देवताओं की स्थापना की जाए तो यह अपने आप में अच्छा संयोग है. इस संग्रहालय को बनाने का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की संस्कृति, साहित्य, पुराने रीति रिवाज, मान्यताओं को यथा स्वरूप प्रदान करना है. उनको स्थापित किए जाए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी हमारे पूर्वजों, लोकदेवताओं को जान सकें. इसीलिए इन 15 प्रमुख लोक देवी देवताओं की स्थापना की गई है और कुछ जानकारी दी गई है.

मां अन्नपूर्णा को कृषि एवं पशुधन की देवी के रूप में पूजा जाता है. (PHOTO- ETV Bharat)

न्याय के देवता गोल्ज्यू महाराज:गोल्ज्यू देवता को कुमाऊं के सुप्रसिद्ध न्यायकारी लोक देवता कहा जाता है. इन्हें विलक्षण शक्ति संपन्न, उत्कृष्ट गुणों से युक्त घर-घर में पूजा जाता है.

नरसिंग देवता:इन्हें देवभूमि के शिव अवतारी सिद्ध योगी देवता कहा जाता है. इन्हें विलक्षण चमत्कारी शक्तियों से संपन्न देवता कहा जाता है. नरसिंग देवता को संपूर्ण उत्तराखंड में सुप्रसिद्ध लोक देवता के रूप में पूजा जाता है.

मां अन्नपूर्णा (ग्वेल्देराणी):मां अन्नपूर्णा को कृषि एवं पशुधन की देवी के रूप में पूजा जाता है. पूजा से प्रसन्न होकर सूखा और अकाल पड़ने पर बारिश बरसाती है. उत्तराखंड में देवी को विभिन्न नामों से पूजा जाता है.

श्री वधाण देवता:वधाण रूप भगवान श्रीकृष्ण का गोप रूप है. देवभूमि के विभिन्न क्षेत्रों में पशुधन देवता के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि पशुधन पर आए कष्टों का सामान्य पूजन मात्र से निवारण होता है.

धामदेव देवता गौ ब्राह्मण रक्षक और प्रजापालक के रूप में विख्यात हैं (PHOTO- ETV Bharat)

सैम देवता:सैम देवता को भगवान शंकर के अंश योगी रूप में माना जाता है. संपूर्ण कुमाऊं में लोक देवता के रूप में पूजा जाता है. अद्भुत शक्ति संपन्न देवता भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं.

श्री बदरीनाथ मंदिर: चारों धामों में से एक भगवान विष्णु का मंदिर है. बदरीनाथ धाम को बैकुंठ धाम भी कहा जाता है.

नगारझण (नागार्जुन) देवता: नगारझण देवता भगवान विष्णु का पशुधन देवता के रूप में चतुर्भुज रूप है. गाय या भैंस का दुधारू होने पर पशु स्वामी द्वार देवता को दूध से स्नान कराने की परंपरा है.

नागराज देवता: देव भूमि के हर जिले में नागदेवता के रूप में पूजा जाता है.

नवग्रह देवता: नवग्रह देवता को सृष्टि के अवतरण के साथ ही नवग्रहों का भी अवतरण माना गया है. इनकी शक्ति, कृपा एवं क्रोध से प्रायः सभी परिचित हैं. शास्त्रोक्त विधि से पूजन करने पर विपत्तियों से रक्षा एवं घर- परिवार में सभी प्रकार की सुख-शांति की प्राप्ति होती है.

सैम देवता को भगवान शंकर के अंश योगी रूप में माना जाता है (PHOTO- ETV Bharat)

गायत्री माता: वेदमाता गायत्री विश्वमाता के रूप में पूजित एवं प्रतिष्ठित हैं. अद्वितीय और चमत्कारी शक्ति से संपन्न है. श्रद्धा पूर्वक पूजन करने पर इस लोक में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद और देहावसान होने पर आवागमन से मुक्ति मिलती है.

महारानी जिया: कत्यूरी सम्राट पृथ्वीपाल की वीरांगना महारानी तुर्कों से देवभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं. संपूर्ण कुमाऊं में लोक देवी के रूप में पूजित हैं. इनकी पुण्य स्मृति में मकर संक्रांति को रानीबाग चित्रशिला में जागरण की परंपरा आज भी जीवित है.

वडू सजेपाल देवता: कत्यूरी राजाओं के राजगुरु रहे. ज्योतिष, राजनीति एवं तंत्र-मंत्र शास्त्रों के प्रकांड विद्वान कुशल नीतिशास्त्र रहे हैं.

धामद्यौ (धामदेव) देवता: कत्यूरी सम्राट धामद्यौ सुप्रसिद्ध न्यायकारी धर्मशील, गौ ब्राह्मण रक्षक और प्रजापालक के रूप में विख्यात हैं. कुमाऊं में लोक देवता के रूप में पूजित हैं.

ब्रह्मद्यौ (ब्रह्मदेव) देवता:कत्यूरी सम्राट ब्रह्मद्यौ अपने सद्गुणों, न्याय परायणता, गौ ब्राह्मण पूजन एवं सत्कर्मों से देव भूमि में लोक देवता के रूप में पूजित हैं.

क्षेत्रपाल देवता: देवभूमि के प्रायः हर क्षेत्र में जन श्रुतियों के अनुसार दैवी शक्तियां रात्रि में अकेले चलते राहगीरों को मानवीय रूप में पथ-प्रदर्शक बनकर भय मुक्त कर गंतव्य स्थान तक छोड़ती है.

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Last Updated : Sep 18, 2024, 4:50 PM IST

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