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सरकारी स्कूलों में मीडिया की पाबंदी पर भड़के सांसद, कहा- 'तत्काल आदेश वापस लें CM'

स्कूलों में मीडिया प्रवेश पर रोक लगाने वाले फैसले पर सुदामा प्रसाद ने प्रश्न चिह्न खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि इसे तुरंत वापस लें.

सांसद सुदामा प्रसाद
सांसद सुदामा प्रसाद (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 17, 2024, 9:26 PM IST

रोहतास : बिहार के सरकारी स्कूलों में मीडिया पर पाबंदी के फरमान जारी होने को लेकर विपक्षी दलों ने सूबे को नीतीश सरकार व शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आरा के सांसद ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर पाबंदी लगाना तानाशाही रवैया है.

''सरकार व विभाग अपनी लापरवाही छिपाना चाहता है. सूबे में शिक्षा व्यवस्था का हाल क्या है यह किसी से छिपा नहीं है. ऐसे में यह तुगलकी फरमान जारी कर सिर्फ और सिर्फ सरकार अपनी नाकामी छिपाना चाहती है. बिहार में सरकार लगातार मीडिया पर अंकुश लगाने का काम कर रही है. हमारी पार्टी इसकी घोर निंदा करती है.''- सुदामा प्रसाद, आरा से माले सांसद

सांसद सुदामा प्रसाद का बयान (Etv Bharat)

'सरकार के दावों की पोल खुल जाती' :सुदामा प्रसाद ने कहा कि आज प्रदेश में शैक्षणिक माहौल बेहद खराब है. गरीबों के बच्चों का पठन-पाठन गुणवत्तापूर्ण नहीं है. ऐसे में अगर कोई पत्रकार इस मुद्दे को उठाता है, तो सरकार को इससे कष्ट होती है. सरकार के दावों की पोल खुल जाती है. इसलिए धरातल पर काम करने वाले मीडिया पर अंकुश लगाया जा रहा है. जिसकी हम निंदा करते हैं.

''मीडिया को पूरे देश में लोकतंत्र का चौथे स्तम्भ के नाम से जाना जाता है. सरकार की गलतियां, कमियों को उजागर करने का मीडिया को पूरा अधिकार है. इस पर पाबंदी लगाकर सरकार ने सही नहीं किया है. मुख्यमंत्री से मांग है कि ऐसे आदेश को फौरन वापस लिया जाए.''- सुदामा प्रसाद, आरा से माले सांसद

अपने क्षेत्र में लोगों से संवाद करते सुदामा प्रसाद. (ETV Bharat)

क्या है पूरा मामला : गौरतलब है कि, शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन सुबोध कुमार चौधरी ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र जारी किया है. इसमें कहा गया है कि राज्य के किसी भी सरकारी विद्यालय में किसी भी व्यक्ति के द्वारा माइक व कैमरा लेकर अनाधिकृत प्रवेश वर्जित है.

वहीं निर्देश में यह भी कहा गया है कि विगत दिनों में यह देखा जा रहा है कि बिना विभागीय आदेश के कई संस्था के प्रतिनिधि विभिन्न उद्देश्यों और विभिन्न उपकरण जैसे कि माइक और कैमरा के साथ सीधे विद्यालय परिसर में पहुंचकर शैक्षणिक कार्य में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं. इससे छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को सुरक्षा के साथ-साथ कई अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. ऐसी गतिविधि विद्यालय के नियमित पठन-पाठन और गतिविधियों को बाधित कर सकते हैं.

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