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माउंट आबू के लोगों की जगी उम्मीदें, 47 साल से अटकी सालगांव बांध परियोजना को लेकर सांसद की मैराथन बैठक - सांसद लुंबाराम चौधरी

47 साल से अटकी माउंट वासियों की मुख्य पेयजल परियोजना सालगांव बांध परियोजना को लेकर सांसद लुंबाराम चौधरी की मैराथन बैठक से उम्मीद जगी है.

सांसद की मैराथन बैठक
सांसद की मैराथन बैठक (ETV Bharat Sirohi)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 20, 2024, 1:24 PM IST

Updated : Nov 20, 2024, 1:31 PM IST

सिरोही : माउंट आबू को पीने का पानी मुहैया कराने के लिए 1977 में बनी सालगांव बांध परियोजना को लेकर सांसद लुंबाराम चौधरी ने राजस्थान सर्किट हाउस में सिंचाई, जलदाय और वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान सांसद चौधरी ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए बांध निर्माण में आ रही समस्याओं को लेकर चर्चा की. बैठक में सामने आया कि अभी तक वन विभाग ने भूमि का हस्तांतरण ही नहीं किया है. सांसद लुबाराम चौधरी ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कई गंभीर आरोप लगाए. सांसद ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनाकर गहलोत ने टेंडर करवाए थे.

बैठक के बाद सांसद लुंबाराम चौधरी ने सालगांव बांध के लिए आवंटित भूमि का अधिकारियों और भाजपा पदाधिकारियों के साथ मौके पर जाकर अवलोकन किया. साथ ही विद्युत विभाग में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत उपभोक्ताओं के घर पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने के लिए आयोजित कैंप का भी सांसद ने जायजा किया. उपभोक्ताओं को ज्यादा से ज्यादा इस योजना का लाभ मिल सके, इसके लिए सांसद ने संबंधित अधिकारियों को भी निर्देशित किया.

सांसद लुंबाराम चौधरी (ETV Bharat Sirohi)

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47 साल से अटकी है ये परियोजना :साल 1977 में माउंट आबू में पेयजल की समस्या को लेकर सालगांव बांध परियोजना का निर्माण किया गया था. उस समय यह परियोजना 27 लाख की थी. बांध के निर्माण के लिए जगह प्रस्तावित थी, लेकिन 1979 में तकनीकी बिंदुओं की टिप्पणी पर इसे निरस्त कर दिया गया. 1 साल बाद 1980 में फिर से यह परियोजना शुरू हुई, लेकिन फिर से राजनीतिक और विभागीय दांवपेंच के बीच लगातार फाइल अटकती रही और 16 साल तक योजना शुरू नहीं हो पाई. 1996 में करीब 11 करोड़ डीपीआर बनाकर इस योजना को फिर से शुरू किया गया.

जलदाय विभाग ने योजना को लेकर दस्तावेज वन विभाग को सौंपा. विभाग ने कुछ कारण बताते हुए फिर से निरस्त कर दिया. 2006 में जलदाय विभाग की ओर से फिर से संशोधित योजना की वन विभाग को एक फाइल सौंपी गई. अभ्यारण क्षेत्र होने के चलते यह फाइल केंद्र को भेजी गई. केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय ने प्रथम दृष्टया स्वीकृत कर स्टैंडिंग कमेटी का निर्माण स्थल के निरीक्षण के निर्देश दिए. 2008 में अधिकारी निरीक्षण को आए कैचमेंट एरिया पर बांध की मूल लागत से कई गुना अधिक व्यय होने से अव्यावहारिक बताते हुए योजना को निरस्त कर दिया गया.

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2012 को केंद्र की संसदीय समिति की ओर से मौका निरीक्षण किया गया और योजना का प्रारूप बना. जुलाई 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के समक्ष परियोजना का मुद्दा उठा. अगस्त 2016 में राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड की ओर से आंशिक संसोधन कर स्वीकृति दी गई. इसके बाद वन विभाग की ओर से केंद्र सरकार को फाइल भेजी गई. 15 मई 2017 को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की ओर से परियोजना को स्वीकृति दी गई है. कुछ समय पूर्व ही 250 करोड़ डीपीआर संबंधित विभाग की ओर से सचिव मंडल को भेजी गई है, जिसकी प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति का इंतजार है.

सालगांव बांध परियोजना के बनने से माउंट आबू की पेयजल समस्या का समाधान हो पाएगा. योजना के तहत 155.56 मिलियन घन फीट भराव क्षमता का बांध बनेगा. इससे माउंट वासियों के लिए पेयजल की समस्या का समाधान होगा. इसके साथ-साथ बांध से रिसने वाले पानी से काशतकार भूमि की सिंचाई कर पाएंगे. वहीं, वन्यजीव अभ्यारण में रहने वाले वन्यजीवों लिए भी यह बांध कारगर साबित होगा. अब 2024 में सांसद लुंबाराम चौधरी की ओर से एक बार फिर इस परियोजना को लेकर की गई बैठक से क्षेत्रवासियों के दिल में उम्मीद जगी है.

Last Updated : Nov 20, 2024, 1:31 PM IST

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