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शराब से MP सरकार की झोली में आए 14 हजार करोड़, 15 फीसदी बढ़ेगी लिकर की कीमतें - एमपी शराब नीति

मध्य प्रदेश में मंगलवार को हुई मोहन कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. जहां राज्य सरकार ने शराब नीति में शराब दुकानों को 15 प्रतिशत राशि के साथ रिन्युअल करने का निर्णय लिया है.

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शराब से एमपी सरकार की झोली में आए 14 हजार करोड़

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 6, 2024, 8:50 PM IST

भोपाल।मध्य प्रदेश में शराब की कीमतों में 15 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी होने जा रही है. राज्य सरकार ने अपनी नई शराब नीति में शराब की दुकानों को 15 फीसदी राशि के साथ रिन्युअल करने का निर्णय लिया है. माना जा रहा है कि इससे सभी ब्रांड की अंग्रेजी शराब की बॉटल की कीमतों में 150 से 170 रुपए तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है. हालांकि विभाग देसी शराब की कीमतों में बहुत ज्यादा अंतर करने के पक्ष में नहीं है. राज्य सरकार ने साल 2024-25 में शराब से साढ़े 15 हजार करोड़ की आय का लक्ष्य रखा है. इस साल राज्य सरकार को इससे करीब 14 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है.

क्या है नई शराब नीति

प्रदेश की मोहन सरकार ने नई शराब नीति जारी कर दी है. राज्य सरकार की कोशिश शराब के जरिए अपना राजस्व बढ़ाने की है. नई शराब नीति में राज्य सरकार ने आय बढ़ाने के लिए शराब की दुकानों को 15 फीसदी ज्यादा दरों पर रिन्युअल करने का निर्णय लिया है. नीति में तय किया गया है कि कुल दुकानों का 75 फीसदी दुकान ठेकेदार बढ़ी हुई दरों पर रिन्युअल के लिए तैयार होते ही फिर से दुकान आवंटित की जाएंगी. इसके अलावा प्रदेश में शराब की दुकानें धार्मिक स्थलों और स्कूलों से डेढ़ किलोमीटर दूर पर ही होगी.

इस साल राज्य सरकार को शराब से करीबन 14 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है. कोरोना काल में जब सरकार की आय में कमी हुई थी, तब शराब से हुई आय ने ही सरकार को बड़ी राहत दी थी.

साल 2022-23 में राज्य सरकार को 13 हजार करोड़ प्राप्त हुए थे.

साल 2021-22 में राज्य सरकार को 10 हजार 395 करोड़ की आय प्राप्त हुई.

2020-21 में 9 हजार 520 करोड़ की आय प्राप्त हुई.

साल 2019-20 में 10 हजार 773 करोड़ और साल 2018-19 में 9 हजार 506 करोड़ की आय शराब से हुई थी.

प्रदेश में 2022-23 से देसी और विदेशी शराब दुकानों को एक कर दिया गया है. प्रदेश में अब कुल मिलाकर 3 हजार 601 दुकाने हैं.

हर सरकार में बदलती गई नीति

शराब से राज्य सरकार को राजस्व का बड़ा हिस्सा मिलता रहा है. पिछली कोई भी सरकार रही हो, वह शराब से खजाना भरने में पीछे नहीं रही. इसमें चाहे 2003 से पहले की कांग्रेस सरकार रही हो या फिर पिछली शिवराज सरकार.

2003 से पहले दिग्विजय सिंह सरकार के दौरान शराब की बिक्री के लिए जिला स्तर पर व्यवस्था थी. जिला आबकारी अधिकारी को अधिकार थे कि वह स्थानीय स्थितियों के हिसाब से शराब के ठेकों की दरें काम या ज्यादा कर सकता था.

2003 की उमा भारती सरकार में जिलों में शराब की दुकानों के समूह बनाकर लॉटरी के माध्यम से ठेके की व्यवस्था शुरू की गई.

2005 में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद शराब की दुकानों में ऑन-ऑफ सिस्टम शुरू किया गया. ऑन यानी अहातों के साथ और ऑफ यानी बिना अहातों के साथ. इसके साथ ही तय किया गया कि जिले के रेवेन्यु से 70 फीसदी से कम पर दुकानों को रिन्युअल न करने का नियम बना. ऐसी स्थिति में पूरे जिले के टेंडर की व्यवस्था शुरू की गई.

2018 में कांग्रेस सत्ता में आई तो जिले का ठेका एक फर्म को देने की व्यवस्था लागू कर दी गई. यह व्यवस्था 16 बड़े शहरों में की गई. जबकि बाकी जिलों में राशि बढ़ाकर दुकानों का रिन्युअल कर दिया गया.

2020 में बीजेपी ने सत्ता में आते ही फिर समूहों को ठेके देने की व्यवस्था शुरू कर दी. सरकार ने देसी और विदेशी शराब एक साथ बेचने की व्यवस्था शुरू की. साथ ही प्रदेश भर में अहाते और शॉप बार की व्यवस्था बंद कर दी गई.

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अब मोहन सरकार की नई शराब नीति में शराब दुकानों को 15 फीसदी बढ़ी हुई दरों पर रिन्युअल करने का प्रावधान किया है.

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