भोपाल।मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कई मामलों में संज्ञान लिया है. इन मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी कर समय सीमा के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है. मानव अधिकार हनन के मामलों में मानव अधिकार आयोग मध्यप्रदेश लगातार इस तरह की कार्यवाही करता रहता है. जिससे कि मानव अधिकार हनन से पीड़ित हो रहे लोगों को न्याय मिल सके. मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने आज इन मामलों में जारी किया जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस.
नाबालिग का अपहरण होने पर पुलिस ने दर्ज की गुमशुदगी की रिपोर्ट
श्योपुर जिले में एक 17 साल की अनाथ नाबालिग बालिका के अपहरण होने का मामला सामने आया था. नाबालिग बालिका के अचानक लापता होने पर बालिका के मामा ने पुलिस थाने में अपहरण होने की शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन पुलिस द्वारा सिर्फ मामूली धाराओं में लापता होने की शिकायत ही दर्ज की गई. मामले में पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. बालिका के परिजनों के इसके बाद पुलिस अधीक्षक से लेकर मुख्यमंत्री तक मदद की गुहार लगाई, तब जाकर पुलिस ने मामले में अपहरण का केस किया. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, श्योपुर से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है.
कुएं में किशोरी का शव मिलने से मचा हड़कंप
भोपाल जिले के परवलिया के ग्राम रतनपुर इलाके में कुएं में एक 17 साल की किशोरी का शव मिलने की घटना सामने आई है. सूचना मिलने पर पुलिस ने शव को कुएं से बाहर निकाल कर पोस्टमार्टम के लिये भिजवा दिया. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक (देहात), भोपाल से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है.
अनाधिकृत रूप से संचालित हो रहे निजी हाॅस्पिटल
सीहोर जिले के कई क्षेत्रों में निजी अस्पतालों के अनाधिकृत रूप से संचालित होने का मामला सामने आया है. जानकारी के अनुसार अधिकांश निजी अस्पतालों द्वारा कई स्वास्थ्य मानदंडों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा हैं और साथ ही अयोग्य व्यक्तियों द्वारा मरीजों का इलाज किया जा रहा है. साथ ही डाॅक्टरों द्वारा अत्यधिक शुल्क की मांग भी की जा रही है. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी सीहोर से मामले की जांच कराने के निर्देश देते हुए कहा कि देखे कि निजी अस्पताल शासन के नियमों के अनुसार ही संचालित हो रहे हैं अथवा नहीं. तदानुसार कार्रवाई कर प्रतिवेदन एक माह में मांगा है.