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एमपी हाईकोर्ट ने नहीं दिया नाबालिग का गर्भपात कराने का आदेश, FIR को संदिग्ध बताया - MP High Court - MP HIGH COURT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग के गर्भपात कराने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा "पीड़ित परिजनों द्वारा दायर कराई गई एफआईआर संदिग्ध प्रतीत हो रही है."

minor abortion petition
एमपी हाईकोर्ट ने नहीं दिया नाबालिग का गर्भपात कराने का आदेश (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 11:18 AM IST

जबलपुर।हाईकोर्ट ने एफआईआर संदिग्ध होने के कारण नाबालिग पीडिता को गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया. जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है"मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार नाबालिग पीड़ित का गर्भ 28 सप्ताह का है. पीड़िता की दादी द्वारा दर्ज एफआईआर में विरोधाभास होने के कारण हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट भी देखी."

गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती नाबालिग

भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती नाबालिग 15 वर्षीय दुष्कर्म पीडिता की तरफ से गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किये थे. मेडिकल बोर्ड की तरफ से बताया गया कि पीड़िता का गर्भ 28 सप्ताह का है. पीडित का गर्भपात किया जाये या वह बच्चे को जन्म दें, दोनों स्थिति में उसकी जान को खतरा है. एकलपीठ ने पाया कि पीड़ित की दादी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया था कि उसकी नातिन के साथ आरोपी पेटू फरहान द्वारा 7 अप्रैल से 1 मई के बीच दुष्कर्म किया गया. जिसके कारण वह गर्भवती हो गयी है.

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मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार नाबालिग का गर्भ 28 सप्ताह का

वहीं, मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार बच्ची का गर्भ 28 सप्ताह से अधिक है. इसका मतलब उसका गर्भ साढ़े पांच से 6 माह के बीच है दुष्कर्म की तिथि सही नहीं बताने के कारण पीड़िता की दादी द्वारा दर्ज करवाई गई रिपोर्ट संदिग्ध प्रतीत हो रही है. कोर्ट का कहना है कि संदिग्ध मेडिकल रिपोर्ट होने के कारण पीड़िता को गर्भपात की अनुमति नहीं दे सकते है. एकलपीठ ने इस आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

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