इंदौर : आपने अधिकारियों-कर्मचारियों के प्रमोशन की खबरें तो खूब सुनी होंगी पर मध्य प्रदेश के कर्मचारी जगत में इन दोनों डिमोशन का खौफ है. दरअसल, अरसे बाद दो सरकारी कर्मचारियों पर इस तरह की विभागीय गाज गिरने से हड़कंप मच गया है. विभागीय जांच और निलंबन के बाद दोषी पाए जाने पर भविष्य में डिमोशन की कार्रवाई की जा सकती है. हालांकि, कर्मचारी संगठन इसके खिलाफ हैं.
सरकारी कर्मचारियों के डिमोशन का क्या है नियम?
दरअसल, जिस तरह कर्माचारियों को उनके अच्छे काम के लिए प्रमोशन मिलता है, ठीक उसके विपरीत खराब कार्य करने या किसी विभागीय कार्रवाई के चलते डिमोशन मिलता है. डिमोशन का सीधा अर्थ है कि कर्मचारी को उसके वर्तमान पद से नीचे का पद और ग्रेड-पे दे दिया जाता है. मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण, तथा अपील) नियम 1966 के नियम 10 में इसका प्रावधान है. यह बात और है कि मध्य प्रदेश के कर्मचारी जगत में अब तक भ्रष्टाचार और ऐसे तमाम मुद्दों में दोषी पाए जाने पर निलंबन और विभागीय जांच का चलन ज्यादा रहा है.
कई सरकारी विभागों में डिमोशन का ट्रेंड (Etv Bharat) सेवा समाप्ति के बाद अब डिमोशन का चलन
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री हरीश बोयत कहते हैं, '' किसी मामले में दोषी पाए जाने पर सरकारी कर्मचारियों को सेवा समाप्ति की सजाएं दी जाती रही हैं. लेकिन हाल ही में पुलिस मुख्यालय से निकले इस आदेश के बाद डिमोशन की सजा का चलन एक बार फिर ग्रह विभाग, महिला बाल विकास विभाग समेत कई विभागों में शुरू हो गया है. हालांकि, इस तरह की कार्रवाई छोटे अधिकारियों-कर्मचारियों पर ही होती हैं.'' हाल ही में सिविल सेवा अधिनियम के तहत अब दो मामलों में डिमोशन की सजा दी गई है, जिसमें एक इंदौर के थाना प्रभारी को सब इंस्पेक्टर के रूप में डिमोट किया गया है जबकि दूसरे राजस्व विभाग के लिपिक को भृत्य के रूप में डिमोट किया गया है.
ये हैं ताजा डिमोशन के मामले
दरअसल, इंदौर के विजयनगर थाने में 15 जून 2023 को ऑनलाइन सट्टा खेलने के आरोप में तीन युवकों को पकड़ा गया था, जिसमें एक नाबालिक बच्चा था. इस मामले में बच्चे को छुड़ाने के लिए परिजनों ने पुलिसकर्मियों की मांग पर रिश्वत दी थी. इस मामले की जांच में तत्कालीन थाना प्रभारी रविंद्र सिंह गुर्जर और अन्य दो पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे. थाना प्रभारी को हाल ही में पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह गुर्जर ने 3 वर्ष के लिए सब इंस्पेक्टर के रूप में डिमोट करने की सजा दी है. एडिशनल पुलिस कमिश्नर अमित सिंह ने बताया, '' पूर्व थाना प्रभारी रविंद्र सिंह गुर्जर के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में शिकायत की गई थी और पूरे मामले में जब जांच की गई तो आरोप सिद्ध हो गए, जिसके बाद पुलिस कमिश्नर ने थाना प्रभारी पर एक्शन लिया.''
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एक अन्य मामले में बुरहानपुर कलेक्टर भव्या मित्तल ने महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत परियोजना कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 सुभाष काकड़े को भृत्य के पद पर अवनत किया है. सुभाष काकड़े आंगनवाड़ी सहायिका के पद पर भर्ती के लिए राशि मांगे जाने के दोषी पाए गए.
पद से डिमोट करने के मामले में तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री हरीश बोयत कहते हैं, '' इस तरह की सजा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है. क्योंकि शासन स्तर पर छोटे कर्मचारियों को तो डिमोट किया जा रहा है लेकिन कभी किसी आईएएस या कलेक्टर को तहसीलदार नहीं बनाया जाएगा. जहां तक पुलिस विभाग का सवाल है तो वहां सेवा शर्तों में रियायतें भी हैं लेकिन शासन स्तर पर राजस्व और अन्य विभागों के छोटे कर्मचारियों के लिए यह वेदना उसकी पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी कुठाराघात है. अधिकतर ऐसे मामलों में विभागीय जांच के बाद एक, या दो वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है लेकिन डिमोशन करना उचित नहीं है.''