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बड़े कमाल का है हरे रंग का शैवाल, मामूली लागत में किसानों को बना सकता है धनवान - PRODUCTION OF AZOLLA FERN

अजोला एक जलीय फर्न है. इसका उत्पाद बेहद आसान और किफायती है. शहडोल के किसान इसके इस्तेमाल से खूब फायदा उठा रहे हैं.

PRODUCTION OF AZOLLA FERN
धान के खेत में यूरिया की जरूरत को खत्म करता है (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 22, 2025, 8:06 PM IST

शहडोल: प्रकृति में तमाम ऐसी चीजें हैं जिसको शायद हम किसी काम का नहीं समझते होंगे, परंतु वो बड़े कमाल की साबित होती हैं. ऐसा ही एक जलीय फर्न है, जो इंसानों के बड़े काम की चीज है. इसका उत्पादन बड़ा आसान है और लागत भी बेहद कम है. साथ ही यह बहुत कम समय में तैयार भी हो जाता है. किसान भाई इसका उत्पादन करके अच्छी कमाई भी कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति से जानते हैं इस कमाल के फर्न के बारे में. साथ ही जानते हैं इसका उत्पादन कैसे किया जा सकता है और इसको प्रयोग में कैसे लाया जाता है.

बेहद कम लागत में किया जा सकता है उत्पादन

डॉ. बीके प्रजापति बताते हैं कि "यह जलीय फर्न अजोला के नाम से जाना जाता है. इसका उत्पादन बेहद सस्ता होता है. घर में अजोला लगाने के लिए एक गड्ढा या सीमेंट का टैंक बना लें. इसके अलावा रेडीमेड पॉलीथिन सीट भी आती है जिसे अजोला बेड कहा जाता है. अगर गड्ढे या टैंक में उत्पादन करना चाहते हैं, तो उसकी लंबाई चौड़ाई 4x4 फीट रखें. ध्यान रहे कि पानी 15 सेंटीमीटर यानी लगभग आधा फीट से कम न हो.

बेहद कम लागत में किया जा सकता है उत्पादन (ETV Bharat)

फिर इसमें लगभग 8-10 किलो मिट्टी और 5-6 किलो ताजा गोबर मिक्स कर दें. इसके बाद इस गड्ढे में आधा किलो अजोला लाकर छोड़ दें. 10 दिन के अंदर पूरा गड्ढा अजोला से भर जाएगा. जिसको बाहर निकालकर अलग-अलग कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है. शहडोल के संभागीय मुख्यालय के लोग कृषि विज्ञान केंद्र से अजोला प्राप्त कर सकते हैं.

धान के खेत में यूरिया की जरूरत को खत्म करता है

अजोला का उपयोग कई तरह से किया जाता है. यह पशु दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है. धान की फसल के लिए भी फायदेमंद होता है. इस तरह किसान अपनी उपज बढ़ाकर अच्छी इनकम प्राप्त कर सकते हैं. बीके प्रजापति ने बताया कि "अजोला एक जलीय शैवाल है. इसके पत्ती के निचली सतह पर साइनोबैक्टीरिया पाया जाता है, जो वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन को फिक्स करने का काम करता है. ऐसे में धान के खेत में 8 से 10 टन डालने पर 25-30 किलोग्राम नाइट्रोजन मिलता है. इससे लगभग 50 किलो यूरिया की बचत होती है."

दुधारू पशुओं को खिलाने से बढ़ता है दूध

मुर्गी पालकों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है. मूर्गियों को रोज 50 ग्राम अजोला खिलाने से उनकी अंडा देने की क्षमता बढ़ जाती है. साथ ही मुर्गी का वजन भी तेजी से बढ़ता है. बकरियों को प्रतिदिन 200 ग्राम अजोला खिलाना काफी फायदेमंद होता है.

इसके अलावा गाय, भैंस जैसे दुधारू पशुओं को प्रतिदिन 1 किलोग्राम खिलाना चाहिए. इससे दुग्ध उत्पादन बढ़ता है. प्रति किलोग्राम अजोला में 5 फीसदी नाइट्रोजन, 0.5 फीसदी फास्फोरस और 4.5 प्रतिशत पोटाश पाया जाता है. इसके अलावा इसमें कैल्शियम, मैग्निशियम, आयरन और जिंक भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

शहडोल: प्रकृति में तमाम ऐसी चीजें हैं जिसको शायद हम किसी काम का नहीं समझते होंगे, परंतु वो बड़े कमाल की साबित होती हैं. ऐसा ही एक जलीय फर्न है, जो इंसानों के बड़े काम की चीज है. इसका उत्पादन बड़ा आसान है और लागत भी बेहद कम है. साथ ही यह बहुत कम समय में तैयार भी हो जाता है. किसान भाई इसका उत्पादन करके अच्छी कमाई भी कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति से जानते हैं इस कमाल के फर्न के बारे में. साथ ही जानते हैं इसका उत्पादन कैसे किया जा सकता है और इसको प्रयोग में कैसे लाया जाता है.

बेहद कम लागत में किया जा सकता है उत्पादन

डॉ. बीके प्रजापति बताते हैं कि "यह जलीय फर्न अजोला के नाम से जाना जाता है. इसका उत्पादन बेहद सस्ता होता है. घर में अजोला लगाने के लिए एक गड्ढा या सीमेंट का टैंक बना लें. इसके अलावा रेडीमेड पॉलीथिन सीट भी आती है जिसे अजोला बेड कहा जाता है. अगर गड्ढे या टैंक में उत्पादन करना चाहते हैं, तो उसकी लंबाई चौड़ाई 4x4 फीट रखें. ध्यान रहे कि पानी 15 सेंटीमीटर यानी लगभग आधा फीट से कम न हो.

बेहद कम लागत में किया जा सकता है उत्पादन (ETV Bharat)

फिर इसमें लगभग 8-10 किलो मिट्टी और 5-6 किलो ताजा गोबर मिक्स कर दें. इसके बाद इस गड्ढे में आधा किलो अजोला लाकर छोड़ दें. 10 दिन के अंदर पूरा गड्ढा अजोला से भर जाएगा. जिसको बाहर निकालकर अलग-अलग कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है. शहडोल के संभागीय मुख्यालय के लोग कृषि विज्ञान केंद्र से अजोला प्राप्त कर सकते हैं.

धान के खेत में यूरिया की जरूरत को खत्म करता है

अजोला का उपयोग कई तरह से किया जाता है. यह पशु दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है. धान की फसल के लिए भी फायदेमंद होता है. इस तरह किसान अपनी उपज बढ़ाकर अच्छी इनकम प्राप्त कर सकते हैं. बीके प्रजापति ने बताया कि "अजोला एक जलीय शैवाल है. इसके पत्ती के निचली सतह पर साइनोबैक्टीरिया पाया जाता है, जो वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन को फिक्स करने का काम करता है. ऐसे में धान के खेत में 8 से 10 टन डालने पर 25-30 किलोग्राम नाइट्रोजन मिलता है. इससे लगभग 50 किलो यूरिया की बचत होती है."

दुधारू पशुओं को खिलाने से बढ़ता है दूध

मुर्गी पालकों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है. मूर्गियों को रोज 50 ग्राम अजोला खिलाने से उनकी अंडा देने की क्षमता बढ़ जाती है. साथ ही मुर्गी का वजन भी तेजी से बढ़ता है. बकरियों को प्रतिदिन 200 ग्राम अजोला खिलाना काफी फायदेमंद होता है.

इसके अलावा गाय, भैंस जैसे दुधारू पशुओं को प्रतिदिन 1 किलोग्राम खिलाना चाहिए. इससे दुग्ध उत्पादन बढ़ता है. प्रति किलोग्राम अजोला में 5 फीसदी नाइट्रोजन, 0.5 फीसदी फास्फोरस और 4.5 प्रतिशत पोटाश पाया जाता है. इसके अलावा इसमें कैल्शियम, मैग्निशियम, आयरन और जिंक भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

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