छपरा:लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार बिहार में बेरोजगारी का मुद्दा छाया हुआ है. एनडीए जहां आरजेडी के शासनकाल में बंद हुए उद्योग-धंधे पर सवाल उठा रहा है, वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव रोजगार और सरकारी नौकरी का मुद्दा उठा रहे हैं. हालांकि इन सब के बावजूद कोई सारण के मढ़ौरा स्थित मॉर्टन चॉकलेट फैक्ट्री की बात नहीं कर रहा है. एक समय था, जब ये मॉर्टन चॉकलेट न सिर्फ बिहार में बल्कि पूरे देश में मशहूर थी लेकिन सरकारी की उदासीनता के चलते वह गायब हो गई.
मॉर्टन का स्वाद, आज भी है यादःसारण जिले का मढ़ौरा अनुमंडल औद्योगिक अनुमंडल के रूप में मशहूर था . यहां कानपुर शुगर वर्क्स लि. शराब फैक्टरी, सारण इंजीनियरिंग के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध मार्टन चॉकलेट की फैक्टरी भी स्थापित थी. मढ़ौरी की चीनी और यहां की विश्व प्रसिद्ध मार्टन चॉकलेट के नाम पर आज भी लोगों के मुंह से लार टपक पड़ती है. मार्टन चॉकलेट के बाद कई आकर्षक चॉकलेट बाजार में आए लेकिन मॉर्टन के स्वाद और मिठास की बराबरी आज तक कोई चॉकलेट नहीं कर पाई.
25 पैसे और 50 पैसे में मिलती थी चॉकलेटः मढ़ौरा की मॉर्टन फैक्टरी में चार-पांच तरह की चॉकलेट बनाई जाती थी, जिसकी कीमत 25 पैसे से लेकर 50 पैसे तक होती थी.एक चॉकलेट काफी सॉफ्ट होती थी और दूसरी चॉकलेट हार्ड होती थी. यहां की बनी कुकीज चॉकलेट के लोग आज भी दीवाने हैं.पुराने लोगों ने बताया कि इस मार्टन फैक्ट्री की बनी चॉकलेट की पहचान अंतरराष्ट्रीय लेवल तक थी.यहां तक कि भारतीय सेना और एयर इंडिया में भी इसकी सप्लाई हुआ करती थी.
1929 में बिड़ला समूह ने की स्थापनाः स्थानीय लोगों के मुताबिक मढ़ौरा में मॉर्टन चॉकलेट फैक्टरी की स्थापना 1929 में बिड़ला समूह ने की थी.अपने अनोखे स्वाद और मिठास के कारण मॉर्टन चॉकलेट ने कुछ ही दिनों में पूरे भारतीय बाजार में अपनी धाक जमा ली. जलवा ऐसा कि मॉर्टन चॉकलेट अंग्रेज भी काफी चाव से खाते थे.
यूनियन बाजी और ब्रांडिंग की कमी से बेड़ा गर्कःअब ये सवाल उठता है कि दशकों तक पूरे बाजार में एकछत्र राज करनेवाली मॉर्टन को किसकी नजर लगी कि फैक्टरी को बंद करना पड़ा. दरअसल बीतते वक्त के साथ फैक्टरी में यूनियन बाजी बढ़ती गयी. इसके अलावा धीरे-धीरे बाजार में कई चॉकलेट आईं और ऐसे समय में ब्रांडिंग की कमी मॉर्टन पर भारी पड़ गयी.
1998 में बंद हो गयी फैक्टरीःबाजार में बढ़ती प्रतियोगिता और यूनियन के बढ़ते दखल के कारण आखिर 69 सालों बाद मढ़ौरा की मॉर्टन फैक्टरी ने आखिरी सांस ली और 1998 में फैक्टरी में ताला लग गया. धीरे-धीरे फैक्टरी के अधीन जमीन थीं वो भी बिक गयीं. फैक्टरी के प्रशासनिक भवन को भी एक कारोबारी ने खरीद लिया और और अब वो एक गोदाम बन चुका है. इस प्रकार स्वाद के लिए मशहूर मॉर्टन चॉकलेट की फैक्ट्री का अंत हो गया लेकिन जिसने भी कभी मॉर्टन का स्वाद लिया है वो स्वाद उनकी यादों में बरकरार है.