मुरैना:सोमवार देर शाम अचानक सबलगढ़ के टोंगा रिजर्वेयर से लगे खेतों के पास अचानक पेड़ों से पानी रिसने लगा. जब किसानों की नजर पड़ी तो उन्होंने इरीगेशन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी. मंगलवार सुबह जब कुछ किसान खेत पर गए तो अचानक कच्ची दीवार से एक छेद के जरिए पानी बाहर आता दिखाई दिया. कुछ ही देर में मिट्टी कटती हुई एक दरार बन गई और हजारों गैलन पानी खेतों को चीरते हुए आगे बढ़ने लगा. यह स्थिति देख ग्रामीण दहशत में आ गए, टोंगा गांव के किसानों ने फिर अधिकारियों को सूचना दी. तेजी से गांव के गांव खाली कराए गये.
आधा दर्जन से ज्यादा गांव में घुसा पानी
हर किसी के चेहरे मुरझाए हुए थे, क्योंकि आस पास हर किसानों की फसल बरबाद होती दिखाई दे रही थी और मजबूरी कि कुछ कर भी नहीं सकते थे. मंगलवार सुबह दरार बढ़ चुकी थी और प्रशासन ने समय रहते लोगों को घर से सुरक्षित निकल जाने की कवायद कर दी थी, लेकिन सालैया का पुरा, कोरी का पुरा कुत्घान का पुरा, पासोन समेत आधा दर्जन गांव डूब प्रभावित हो चुके हैं.
कुछ वर्षों पहले भी आयी थी दरार
घटना की जानकारी और ग्रामीणों को हो रही परेशानी की बात जब ETV भारत को लगी, तो हमारे संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव ग्राउंड जीरो पर पहुंचे. यहां लोगों से पता चला के कुछ सालों पहले भी रिजर्वेयर की यह दीवार टूट चुकी थी, लेकिन समय रहते इसे रिपेयर कर लिया गया था. कोई अनहोनी होने से बच गई थी, लेकिन मंगलवार सुबह जो आपदा आई, उस से लोग बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं.
लगातार बढ़ रहा दरार का दायरा
स्थानीय लोगों ने बताया कि सुबह के समय जब अधिकारियों को सूचना कर बुलाया गया था. उस समय दीवार की दरार करीब पांच फुट थी, लेकिन लगातार पानी निकलने से आस पास की मिट्टी कटती गई और दरार की चौड़ाई भी बढ़ती गई. शाम होते-होते यह दरार 25 फीट से ज्यादा हो चुकी है.
रास्ता ना होने से मरम्मत को नहीं पहुंच सकी जेसीबी
एक ग्रामीण ने बताया कि 'जब यहां कर्मचारियों को सूचना दी थी, तो उसके बाद रात दो बजे मौके पर कलेक्टर-एसपी सहित अधिकारी स्थिति देखने आए थे, आधी रात में ही इस गड्ढे को भरने के लिए JCB मशीन भी बुलायी गई थी और ढेर सारी मिट्टी भी मंगाई गई थी, लेकिन यहां रास्ता न होने से JCB मशीन घटनास्थल तक नहीं पहुंच सकी. अंत में अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए और तेजी से गांव खाली कराने के प्रयास शुरू कर दिए थे.
सैकड़ों बीघा खेती बर्बाद
अचानक रिजरवेयर से निकले इतने सारे पानी की वजह से दीवार पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है. साथ ही किसानों का नुकसान भी हो रहा है, क्योंकि डूब प्रभावित गांव में करीब 450 बीघा कृषि भूमि पर किसानों की फसलें खड़ी हुई है. कहीं बाजरा तो कहीं सब्जी की फसलें लगी हुई है. किसान इस बात से परेशान हैं कि इतने नुकसान की भरपाई कैसे होगी.