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मुरैना की रामलीला: सरपंच बने रावण, छुट्टी पर आए आर्मी जवान को बाली का रोल

मुरैना जिले के अंबाह क्षेत्र के रछेड़ गांव की रामलीला में गांव के सरपंच बनते हैं रावण तो आर्मी का जवान बनता है बाली.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 8 hours ago

MORENA RAMLILA 116 YEARS OLD
सरपंच बने रावण तो आर्मी से छुट्टी पर आए बाली का रोल करने (ETV BHARAT)

मुरैना।मुरैना जिले के अंबाह क्षेत्र के रछेड़ गांव में 116 साल पहले शुरू हुई रामलीला का मंचन आज भी हर साल होता है. साल-दर-साल कलाकार बदलते गए. इसके साथ ही भव्य होता गया रामलीला का मंचन. राम का रोल निभाने वाले 22 वर्षीय युवक दिग्विजय सिंह तोमर हैं. भरत का रोल निभाने वाले 21 वर्षीय राहुल सिंह तोमर और लक्ष्मण का रोल निभाने वाले 23 वर्षीय विकास खुड़ासिया हैं. ये सभी अभी छात्र हैं और कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हैं.

आर्मी के हवलदार हर साल छुट्टी लेकर आते हैं

वहीं रावण का रोल निभाने वाले शिवांकर सिंह तोमर वर्तमान में सरपंच हैं और पूर्व में जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं. बकौल शिवांकर "मैंने भी छात्र जीवन से अभिनय शुरू कर दिया था." वहीं हनुमान का रोल करने वाले प्रदीप सिंह तोमर खेती-किसानी करते हैं. बाली का किरदार निभाने का जिम्मा आर्मी में हवलदार राकेश सिंह तोमर का है. वह अक्सर रामलीला के समय ही छुट्टी लेकर गांव आते हैं और बाली का रोल प्ले करते हैं.

आर्मी के हवलदार हर साल छुट्टी लेकर आते हैं (ETV BHARAT)

मुरैना जिले में 300 रामलीला मंडली

रछेड़ गांव की रामलीला में जिले के अन्य हिस्सों से भी राम, रावण, सीता, हनुमान, भरत-शत्रुघ्र, बाली आदि का रोल निभाने के लिए कलाकार आते हैं. रछेड़ गांव की इस मंडल द्वारा जनवरी-2025 में 111वीं रामलीला का मंचन किया जाएगा. इस रामलीला को देखने के लिए 3 दर्जन गांवों के लोग आते हैं. जिलेभर में 300 से अधिक रामलीला मंडल हैं, जो सभी इसी गांव की रामलीला की शाखाएं हैं. बता दें कि अम्बाह क्षेत्र के महुआ गांव में नंगा बाबा आश्रम पर एक महात्मा ने समाधि ली थी. उनके आशीर्वाद से वाजपेयी परिवार इटावा के सहयोग से गांव में 55 साल से लगातार यहां रामलीला हो रही है. 50 लोगों की टीम इस कला मंडल से जुड़ी है.

मुरैना की रामलीला, सरपंच बने रावण (ETV BHARAT)

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आधुनिक साउंड सिस्टम का उपयोग नहीं

स्थानीय कलाकार अपने व्यस्तता होने के बाद भी समय निकालकर आयोजन स्थल पर पहुंच जाते हैं और अपने-अपने स्वरूपों की भूमिका निभाते हैं. आधुनिक साउंड सिस्टम नहीं, छंद-चौपाल में ही होता है संवाद. पात्र को रामायण के छंद, चौपाई की अच्छी जानकारी है. इससे रामलीला मंचन के दौरान पात्र छंदों और चौपाइयों का उपयोग कर मंचन को जीवंत बना देते हैं. पात्रों की ओर से प्रस्तुत करुण, वीर, हास्य और शृंगार रस प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लेते हैं.

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