जबलपुर : हाईकोर्ट ने कर्मचारी माध्यमिक शिक्षक चयन परीक्षा में उर्दू विषय को शामिल करने पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने कर्मचारी चयन बोर्ड को निर्देश दिया है कि निर्णय लेकर याचिकाकर्ताओं को अवगत कराएं. युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता सरकार के निर्णय से संतुष्ट नहीं होने पर उचित फोरम में शिकायत करने के लिए स्वतंत्र होंगे.
क्या है एमपी बोर्ड में उर्दू का मामला?
दरअसल, ये याचिका सिवनी निवासी फातिमा अंजुम सहित अन्य की ओर से दायर की गई थी. याचिका में माध्यमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2024 में उर्दू विषय के शिक्षक पद को शामिल नहीं किए जाने को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि उर्दू विषय के शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं. याचिकाकर्ताओं ने इसके पहले 2018 से 2023 की चयन परीक्षाओं में उर्दू विषय के शिक्षक के लिए परीक्षा दी थी. याचिका में कहा गया है कि चयन परीक्षा 2024 में उर्दू विषय को छोड़कर सभी विषय विज्ञापति किए गए हैं.
सिलेक्शन बोर्ड को देना होगा जवाब
याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में 21 जनवरी को कर्मचारी चयन बोर्ड के सामने अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था. अभ्यावेदन पर कोई एक्शन नहीं होने के कारण जबलपुर हाईकोर्ट में इस याचिका को दायर किया गया. युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए बोर्ड को निर्देशित किया है कि अभ्यावेदन पर निर्णय लेकर याचिकाकर्ता को अवगत करवाएं. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता भी प्रदान करते हुए याचिका का निराकरण किया है कि असंतुष्ट होने पर वे मामले की आगे भी शिकायत कर सकते हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आकाश सिंघई ने पैरवी की.
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