भोपाल: मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल और मेडिकल कालेजों के डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर राज्य शासन के विरोध में उतर आए हैं. गुरुवार को प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में कार्यरत 17 हजार डॉक्टरों ने अपने हाथों में काली पट्टी बांधकर मरीजों का इलाज किया. डॉक्टरों ने दोपहर 1 से डेढ़ बजे के बीच अपने कार्यस्थल पर लंबित मांगे पूरी नहीं होने पर प्रदर्शन किया. बता दें कि स्वास्थ्य संस्थानों में उच्च स्तरीय समिति का गठन, डीएसीपी, एनपीए का सही क्रियान्वयन, सातवें वेतनमान का लाभदेना, उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स के सुरक्षा निर्देशों का क्रियान्वयन और चिकित्सा क्षेत्र में प्रशासनिक दखलंदाजी को रोकने जैसी कई मांगे शामिल हैं.
हड़ताल में शामिल 15 हजार डॉक्टर
मध्य प्रदेश में 17 हजार डॉक्टर हड़ताल पर हैं. सरकार द्वारा समस्याओं का समाधान नहीं करने पर चिकित्सक चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं. हालांकि डाक्टरों का दावा है कि हम जनता की सेवा का ध्यान रखेंगे और अपने अधिकारों के प्रति संघर्ष भी करेंगे. चिकित्सक महासंघ मध्य प्रदेश के बैनर तले यह आंदोलन हो रहा है.
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महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर राकेश मालवीय ने बताया कि "प्रदेश के सभी 52 जिला अस्पताल, कम्युनिटी अस्पताल, सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर्स, 18 चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सा शिक्षक एवं मेडीकल ऑफिसर, ईएसआई के सभी अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर्स, मेडिको लीगल संस्थान के मेडिकल अधिकारी, संविदा चिकित्सक, जूनियर डॉक्टर्स इसमें शामिल रहेंगे. सभी जिला चिकित्सालयों के अलावा 350 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर डाक्टरों ने आंदोलन के पहले दिन काली पट्टी बांधकर काम किया."
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'अमानक दवाओं की जलेगी होलिका'
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर कुलदीप गुप्ता ने बताया कि "20 फरवरी को प्रदेश के सभी डॉक्टर्स कार्यस्थल (सभी जिला अस्पताल, ईएसआई अस्पताल, मेडिकल कॉलेज) पर काली पट्टी लगाकर काम करेंगे. 21 फरवरी को अमानक दवाओं की होली जलाई जाएगी. 22 फरवरी को प्रदेश के समस्त डॉक्टर मास्क पहनकर भोजन अवकाश में दोपहर आधा घंटे एक से डेढ़ बजे तक अपने कार्यस्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे. 24 फरवरी सोमवार को प्रदेश के सभी डॉक्टर्स सामूहिक उपवास एवं चिन्हित अस्पतालों में जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के विरोध में अमानक दवाइयों की सांकेतिक होली जलाई जाएगी. 25 फरवरी मंगलवार से प्रदेशव्यापी उग्र आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा."
ये हैं डॉक्टरों की मुख्य मांगे
लंबे समय से लंबित डीएसीपी, सातवें वेतन का लाभ और डॉक्टरों के कार्य में बढ़ती प्रशासनिक दखलंदाजी को रोकने समेत अन्य मुद्दों को लेकर चिकित्सक महासंघ ने स्वास्थ्य मंत्री और राज्य शासन को ज्ञापन भी दिया. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. शासकीय, स्वशासी चिकित्सक महासंघ के संयोजक डॉक्टर राकेश मालवीय ने बताया कि "न ही अब तक हाईपॉवर कमेटी का गठन हुआ और ना ही कैबिनेट से पारित निर्णय जैसे डीएसीपी, सातवें वेतनमान का लाभ 1 जनवरी 2016 से देना, एनएपीए की सही गणना व अन्य के संबंध में आदेश निकाले गए हैं."