मुरैना। चम्बल नदी से रेत का अवैध उत्खनन सालों से हो रहा है. रेत माफिया के आगे सरकार से लेकर अफसर भी अब बौने साबित हो रहे हैं. शहर में कई जगह रेत की अवैध मंडियां लगती हैं. दिन के उजाले में अफसरों को रेत की ये अवैध मंडियां दिखाई नहीं देती और रात के समय कागजी खानापूर्ति के लिए रेत से भरे वाहनों को पकड़ने की मुहिम चलाई जाती है. यह खेल कई सालों से चल रहा है.बता दें कि चंबल नदी से रेत के अवैध उत्खनन करने पर पाबंदी लगी है. उच्चतम न्यायालय ने उत्खनन पर पाबंदी लगाई है.
रेत का काला कारोबार
रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिन के उजाले में सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली रेत चम्बल नदी से निकालकर ढोई जा रही है. 20 साल से भी अधिक समय हो गया जब से अवैध उत्खनन का ये गोरखधंधा चल रहा है. औपचारिकता के लिए प्रशासन महीने-15 दिन में एक-दो बार कार्रवाई ज़रूर करता है, लेकिन यह सब दिखावा और नौटंकी प्रतीत होता है. रेत के अवैध उत्खनन के इस खेल में अब अधिकारी भी पूरी तरह से लिप्त होते जा रहे हैं. वन महकमे की स्थिति भी ठीक नहीं है, वन विभाग के अधिकारी हमेशा ही एक बात का रोना रोते हैं कि उनके पास पर्याप्त बल की व्यवस्था नहीं है. 20 वर्षों में सिर्फ एक ही अधिकारी ने यहां रेत के अवैध उत्खनन को लेकर मुहिम चलाई थी. एसडीओ के रूप में पदस्थ रहीं श्रद्धा पांडरे ने रेत के अवैध उत्खनन को लेकर कार्रवाई शुरू की तो उनका तबादला कर दिया गया.