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मोक्षदा एकादशी पर तीर्थ स्नान-हवन पूजन और दान से मिलता है पितरों को बैकुंठ वास, जानें महत्व - MOKSHADA EKADASHI SIGNIFICANCE

मोक्षदा एकादशी पर तीर्थ स्नान, व्रत, हवन पूजन और दान से मिलता है पुण्य फल. पितरों को मिलता है मोक्ष और बैकुंठ वास.

Mokshada Ekadashi 2024
मोक्षदा एकादशी पर तीर्थ स्नान (ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 10, 2024, 6:15 AM IST

अजमेर: मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी बुधवार 11 दिसंबर को है. इस दिन ही गीता जयंती भी है. ज्योतिष गणना और धर्मशास्त्र और वेदों के मुताबिक मोक्षदायिनी एकादशी का व्रत करने के साथ ही तीर्थ में स्नान कर पूजा-हवन और दान-पुण्य का विशेष महत्व है. ऐसा करने से कोटि गुना पुण्य फल मिलता है. बता दें कि मोक्षदा या मोक्षदायिनी एकादशी वर्ष में एक बार ही आती है.

पुष्कर के ज्योतिष कैलाश नाथ दाधीच बताते हैं कि वर्ष में एक बार आने वाली मोक्षदा एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व है. खासकर गृहस्थ लोगों को विशेषकर मोक्षदा एकादशी का व्रत विधान के साथ करना चाहिए. दाधीच बताते हैं कि वेदों और अन्य धर्म शास्त्रों में मोक्षदा एकादशी का उल्लेख है. एकादशी का व्रत करने के साथ तीर्थ में स्नान करने, हवन, पूजन और दान पुण्य किया जाता है. ऐसा करने से कोटि गुना पुण्य फल मिलता है.

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उन्होंने बताया कि मोक्षदायिनी एकादशी पर बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री पुष्कर के ब्रह्म सरोवर में स्नान करने के लिए आते हैं. स्नान के बाद पूजा-अर्चना और पितरों के निमित्त किए गए तर्पण आदि से पितरों को मोक्ष गति होती और उनका बैकुंठ में वास होता है. उन्होंने बताया कि मोक्षदा एकादशी के दिन एकादशी व्रत करने वाले व्रत का उद्यापन भी करते हैं.

पंडित कैलाशनाथ दाधीच बताते हैं कि मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजन करने से सुख समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है. मोक्ष गति प्राप्त करने के लिए यह मोक्षदा एकादशी काफी महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को इसी दिन गीता का श्रवण करवाया. इस दिन भगवान श्री कृष्णा की पूजन के साथ गीता पुस्तक की पूजन तुलसी अर्चना, पवन पूजन करने से अक्षय गुना फल मिलता है.

इस दिन धार्मिक पुस्तकों का दान, पौघारोपण, तुलसी पूजन और तीर्थ में स्नान, दान-पुण्य का सर्वश्रेष्ठ दिन है. 11 दिसंबर बुधवार को सुबह काल से रात्रि 1 बजकर 9 मिनट तक मोक्षदायिनी एकादशी रहेगी. उन्होंने बताया कि 12 दिसंबर 2024 गुरुवार को निंबार्क एकादशी रहेगी. इसको मौन एकादशी भी कहते हैं जो पूरे दिन मौन रहकर की जाती है.

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