भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में आयुष कालेजों में पदस्थ आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी समेत अन्य पद्धतियों के चिकित्सों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ा दी है. अब तक आयुष डाक्टरों के सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष थी, जिसे अब 65 कर दिया गया है. इसके बाद से ही प्रदेश में सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के रिटायरमेंट की समयसीमा बढ़ाने को लेकर भी चर्चा शुरु हो गई है. संभावना जताई जा रही है, कि राजय सरकार जल्द ही सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की सीमा भी बढ़ा सकती है.
रिटायरमेंट की उम्र बढ़ने से इन कर्मचारियों को फायदा
यदि मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाती है, तो इससे सब का ही फायदा है. फिर भी उन अधिकारी-कर्मचारियों को ज्यादा फायदा होगा, जिनका सेवाकाल 62 साल की उम्र से पहले 33 वर्ष पूरा नहीं हो रहा है. दरअसल, राज्य सरकार 33 साल का सेवाकाल पूरा करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को ही वेतन के 50 प्रतिशत की पेंशन की पात्र मानती है. ऐसे में मान लें कि कोई व्यक्ति 30 साल में नियुक्त हुआ, तो 62 साल की उम्र तक उसका सेवाकाल 32 वर्ष होगा. यानि उसे आधी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा. वहीं, यदि सरकार रिटायरमेंट की सीमा 65 साल कर देती है, तो 32 साल में भी सरकारी नौकरी ज्वाइन करने वाले को आधी पेंशन का लाभ मिलेगा.
रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने से सरकार पर प्रभाव
यदि सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ती है, तो इससे सरकार को भी कुछ फायदा कुछ नुकसान होगा. पुराने अनुभवी कर्मचारियों का ज्ञान नए कर्मचारियों को मिलेगा. कर्मचारियों को 3 साल अधिक वेतन मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति समृद्ध होगी. वहीं रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से कर्मचारियों को पेंशन कम समय तक देना होगा. नई भर्तियां नहीं होने से सरकारी खर्च में भी कमी आएगी. साथ ही अनुभवी कर्मचारियों के कौशल का बेहतर उपयोग होगा.
जूनियर कर्मचारियों को होने जा रहा ये नुकसान
सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ने से जूनियर कर्मचारियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. उन्हें प्रमोशन में देरी होगी. वहीं कर्मचारी यदि 62 साल के बाद भी काम करता है, तो उनके कार्य क्षमता में भी कमी आएगी. नए कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होने से नए विचारों का अभाव हो सकता है. इससे सरकार नई नियुक्तियां भी नहीं करेगी. जिससे लोगों को लंबे समय तक नौकरियां नहीं मिलेंगी.