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उन्नाव में मोदी के स्वच्छ भारत को पलीता; रोज खुले में फेंक रहे टैंकर के टैंकर सीवरेज, 4 करोड़ का ट्रीटमेंट प्लांट बेकार पड़ा - UNNAO FSTP

शहर से रोजाना निकल रहा 60 हजार लीटर सीवरेज, आधे का भी नहीं हो रहा ट्रीटमेंट, घातक बीमारियां फैलने का खतरा.

टैंकर के टैंकर सीवरेज खुले में फेंके जा रहे.
टैंकर के टैंकर सीवरेज खुले में फेंके जा रहे. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 6, 2025, 2:32 PM IST

Updated : Jan 6, 2025, 5:10 PM IST

उन्नाव :शहर से निकलने वाले 60 हजार सीवरेज में से ज्यादातर को खुले में ही फेंक दिया जा रहा है. कई तरह की संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है. इससे स्वच्छ भारत मिशन को भी झटका लग रहा है. शहर से करीब 7 किमी दूर 4.50 करोड़ की लागत से फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) का निर्माण कराया गया था.

यह यूपी का पहला जबकि देश का दूसरा FSTP है. इसकी क्षमता 32,000 लीटर प्रतिदिन है. आलम ये कि शहर से निकले सीवरेज का आधा हिस्सा भी प्लांट तक नहीं पहुंच पा रहा है. सीवरेज से भरे ज्यादातर टैंकरों को सड़कों के किनारे ही खाली कर दिया जा रहा है.

उन्नाव के FSTP प्लांट के हालात पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

प्लांट से किसानों को मिल सकता है खाद-पानी :पर्यावरण को सुरक्षित बनाने और किसानों को खाद-पानी उपलब्ध कराने के मकसद से फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कराया गया था. जनवरी 2019 में इसके निर्माण की शुरुआत हुई थी. साल 2020 में यह तैयार हो गया था.

प्लांट को आधुनिक तकनीक से डिजाइन किया गया है. यह घरों से निकलने वाले सीवरेज वेस्ट को ट्रीट कर उसे लिक्विड और सॉलिड वेस्ट में परिवर्तित कर सकता है. यह प्लांट सॉलिड वेस्ट को खाद में रूप में इस्तेमाल होने लायक बनाता है. यह प्लांट देश का इस तरह का दूसरा प्लांट माना जाता है. पहला प्लांट महाराष्ट्र के नागपुर में खोला गया था.

करोड़ों की लागत से बना है प्लांट. (Photo Credit; ETV Bharat)

पूरे महीने में केवल 7 टैंकर ही प्लांट पर पहुंच रहे :प्रशासनिक लापरवाही और जागरूकता की कमी के कारण इस प्लांट का मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है. उम्मीद थी कि उन्नाव नगर क्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों का सीवरेज यहां व्यवस्थित तरीके से ट्रीट हो सकेगा, लेकिन अभी तक प्लांट तक टैंकर ही नहीं पहुंच पा रहे हैं.

पूरे महीने में महज 7 टैंकर ही प्लांट पर पहुंच रहे हैं. जबकि रोजाना 12 टैंकर सीवरेज लेकर शहर से निकलते हैं. प्रत्येक टैंकर की क्षमता 5 हजार लीटर है. कुल 60 लीटर सीवरेज रोजाना निकलते हैं. टैंकर विभिन्न स्थानों पर सड़क किनारे ही खाली कर दिए जा रहे हैं. इससे कई तरह की बीमारियों के फैलने का खतरा है.

खुले में सीवरेज फेंकने वालों की जानकारी देकर पाएं इनाम :नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी (ईओ) संजय गौतम ने बताया कि प्लांट पर कर्मचारियों की तैनाती की गई है. 3 सीवेज सफाई टैंकर संचालकों ने नगर पालिका में रजिस्ट्रेशन भी कराया है.

उन्होंने कहा कि जो टैंकर एफएसटीपी प्लांट में सीवेज नहीं लेकर जाएंगे, उनके खिलाफ जुर्माना और अन्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सीवेज को खुले में फेंकने वाले टैंकर संचालकों की सूचना देने वाले को 10,000 रुपये का इनाम भी दिया जाएगा.

शहर का आधा भी सीवरेज प्लांट पर नहीं पहुंच रहा. (Photo Credit; ETV Bharat)

ईओ ने यह भी बताया कि सीवेज सफाई को लेकर गाइड लाइंस तैयार कर शासन को भेजा गया है. मंजूरी के बाद यह लागू हुआ तो सीवेज निपटान में काफी सुधार आएगा. जिला प्रदूषण अधिकारी रोहित सिंह ने बताया कि खुले में सीवेज फेंकने वाले टैंकरों की निगरानी की जा रही है. यदि कोई वीडियो या फोटो के साथ जानकारी देता है तो टैंकर संचालकों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा.

खुले में सीवरेज फेंकने से हो सकती हैं ये बीमारियां :विशेषज्ञों के अनुसार खुले में सीवरेज फेंकने से पर्यावरण दूषित होता है. कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. जिला अस्पताल उन्नाव के फिजीशियन डॉ. अंकुर सचान ने बताया कि सीवरेज स्लज को खुले में फेंकने से जल प्रदूषण का खतरा बढ़ता है.

इससे बच्चों और बड़ों में टाइफाइड, बच्चों में वायरस जनित डायरिया और लेप्टोस्पायरोसिस जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं. लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु जनित बीमारी है. यह संक्रमित पानी के संपर्क में आने से फैलती है. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द और शरीर पर चकत्ते आदि शामिल हैं.

रख-रखाव पर हर साल खर्च हो रहे 10 लाख रुपये :अधिशाषी अधिकारी के अनुसार प्लांट के रख-रखाव पर साल 10 लाख रुपये का खर्च आता है. वहीं नगर पालिका प्रशासन को टैंकर संचालकों पर सख्ती बरतने की जरूरत है. जन जागरूकता अभियान चलाने की भी जरूरत है.

35 लाख की आबादी वाले इस जिले के लिए यह प्लांट बड़ी उपलब्धि हो सकती थी. यहां से अन्य शहरों में भी इस तरह के प्रयोग के मैसेज जा सकते थे, लेकिन अभी फिलहाल ऐसा नहीं हो पा रहा है.

इसलिए इस प्लांट का नियमित चलना जरूरी :उन्नाव में सीवर लाइन न होने से यह प्लांट शहर के लोगों के लिए काफी उपयोगी है. लोगों ने अपने घरों में ही सेप्टी टैंक बनवा रखे हैं. इन टैंकों के भरने के बाद इन्हें खाली करने के लिए नगर पालिका से या निजी कंपनियों के टैंकरों में इन्हें भरकर बाहर भिजवाया जाता है. नियम के अनुसार ऐसे टैंकरों को प्लांट तक जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

प्लांट में सीवरेज का ट्रीटमेंट इस प्रक्रिया से होता है :सीवेज से भरे टैंकरों को FSTP में बने चैंबर में डाला जाता है. इसके बाद थिकनिंग टैंक में 3 दिन तक रखते हैं. सीवेज इस टैंक से स्टैब्लिलाइजेशन रिएक्टर में भेजा जाता है. इसके बाद इसे 4 दिन तक ट्रीट किया जाता है.

फिर स्क्रू प्रेस के ट्रीट किया जाता है. इससे लिक्विड और सॉलिड वेस्ट अलग हो जाता है. इसके बाद ड्राइंग बेड में अलग हुए सॉलिड को करीब 10 दिनों तक रखा जाता है. इस प्रक्रिया के बाद सीवेज को Equalisation Tank टैंक में 1 दिन तक ट्रीट किया जाता है.

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Last Updated : Jan 6, 2025, 5:10 PM IST

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