नवीन उनियाल, देहरादून: राजधानी देहरादून के रायपुर क्षेत्र में विधानसभा, सचिवालय और विभागों के मुख्यालय बनाने की मंशा को तगड़ा झटका लगा है. केंद्र के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार को इसके लिए दी सैद्धांतिक स्वीकृति वापस ले ली है. साल 2016 के इस प्रस्ताव के निरस्त होने के बाद राज्य सरकार को अब फिर से नया प्रस्ताव भेजना होगा. बड़ी बात ये है कि उत्तराखंड सरकार इसके लिए ₹24 करोड़ से ज्यादा की रकम केंद्र को जमा कर चुकी है, लेकिन कई सालों तक इस पर फैसला न ले पाने की लेटलतीफी ने फिलहाल इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
देहरादून के रायपुर क्षेत्र में विधानसभा, सचिवालय और विभिन्न विभागों के मुख्यालयों के खटाई में पड़ने से न सिर्फ राज्य सरकार, बल्कि रायपुर और डोईवाला के एक बड़े इलाके में रहने वाले लोगों को भी तगड़ा झटका लगा है. ऐसा इसलिए क्योंकि रायपुर में विधानसभा, सचिवालय और विभागों के मुख्यालय बनने के प्रस्ताव के साथ ही इसके आसपास के एक बड़े इलाके को फ्रीज जोन घोषित कर दिया गया था.
फ्रीज जोन के चलते इस इलाके में बंद हो गई जमीन की खरीद फरोख्त:दरअसल, गैरसैंण में 13 मार्च 2023 को उत्तराखंड कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया था. इस फैसले में रायपुर और डोईवाला के कई क्षेत्र फ्रीज जोन घोषित कर दिए गए. फ्रीज जोन करने के चलते इस इलाके में जमीन की खरीद फरोख्त बंद हो गई थी. इस फैसले की वजह से इस इलाके में लोग न तो जमीन खरीद पा रहे हैं और न ही बेच पा रहे हैं. इससे लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
लोगों को सरकार से उम्मीद थी कि जल्द ही इस इलाके में सरकार तमाम औपचारिकताओं को पूरा कर अपने प्रोजेक्ट शुरू करेगी और उसके बाद फ्रीज जोन की पाबंदियों को खत्म किया जाएगा. लेकिन इतना लंबा समय बीतने के बाद भी सरकार फिर शून्य पर आकर खड़ी हो गई है. इसके बावजूद भी इस क्षेत्र को फ्रीज जोन से मुक्त नहीं किया गया है.
केंद्र के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने निरस्त किया प्रस्ताव: उत्तराखंड सरकार ने देहरादून के रायपुर क्षेत्र में विधानसभा और सचिवालय बनाने के इरादे से साल 2012 में 59.90 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की थी. इसके बाद साल 2016 में NPV (Net Present Value) की करीब ₹8.50 करोड़ की धनराशि केंद्र को जमा करने के बाद केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी.
इसके बाद एलिफेंट कॉरिडोर (Wildlife Mitigation Plan) के तहत भी ₹15 करोड़ भारत सरकार के कैंपा फंड में जमा कर दिए गए. इसके अलावा भी विभिन्न मदों में कुछ और राशि जमा की गई. इस तरह ₹24 करोड़ से ज्यादा की धनराशि केंद्र सरकार को राज्य की तरफ से दी गई. इतना होने के बाद भी अब इस प्रस्ताव को केंद्र ने निरस्त करते हुए राज्य सरकार को बड़ा झटका दे दिया है.
ना रहा विभागों में सामंजस्य, ना कई सालों तक हुआ कोई निर्माण:रायपुर में विधानसभा, सचिवालय और विभागों के मुख्यालय बनाए जाने के इस बड़े प्रोजेक्ट में कई विभाग शामिल रहे. इसमें राजस्व विभाग, वन विभाग, सचिवालय प्रशासन, आवास विभाग और विधानसभा सचिवालय शामिल रहे. राज्य संपति विभाग इसका नोडल विभाग है. माना जा रहा है कि इन विभागों के बीच आपसी सामंजस्य ही नहीं बनाया जा सका.