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मंत्री बसंत सोरेन ने सिदो कान्हू की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण, हेमंत सोरेन को बताया वर्तमान हूल नेता - Hul Diwas 2024 - HUL DIWAS 2024

Hul Diwas 2024. हूल दिवस के मौके पर मंत्री बसंत सोरेन ने शहीद सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि झामुमो विधानसभा चुनाव के लिए किसी भी समय तैयार है. उन्होंने हेमंत सोरेन को वर्तमान का हूल नेता बताया.

Hul Diwas 2024
शहीद सिदो कान्हू की प्रतिमा का माल्यार्पण करते बसंत सोरेन (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 30, 2024, 12:55 PM IST

दुमका : झारखंड सरकार के पथ निर्माण मंत्री बसंत सोरेन का कहना है कि राज्य में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे, हम उसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं. दुमका में हूल दिवस के अवसर पर सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद बसंत सोरेन ने यह बात कही.

बसंत सोरेन ने हेमंत सोरेन को बताया वर्तमान हूल नेता (ईटीवी भारत)

आज हूल दिवस के अवसर पर झारखंड सरकार के पथ निर्माण मंत्री सह स्थानीय विधायक बसंत सोरेन ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ दुमका के बड़ा बांध चौक स्थित सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इस अवसर पर बसंत सोरेन ने पूरे राज्य के लोगों को हूल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं.

उन्होंने कहा कि इन वीर शहीदों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है. हम उन्हें याद कर रहे हैं और उनके बताए रास्ते पर चल रहे हैं. बसंत सोरेन ने कहा कि आज हूल (क्रांति) के हमारे वर्तमान नेता हेमंत सोरेन हैं और वे अब लोगों के बीच हैं, उनकी आवाज पूरे झारखंड में गूंजेगी.

विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार झामुमो

जब मंत्री बसंत सोरेन से पूछा गया कि झारखंड में विधानसभा चुनाव क्या समय से पहले होने की संभावना है तो उन्होंने साफ कहा कि जब भी चुनाव होंगे, झारखंड मुक्ति मोर्चा उसके लिए तैयार है. चुनाव को लेकर जो रणनीति बनेगी, उस पर कल से ही चर्चा होगी. उन्होंने पूरे विश्वास के साथ कहा कि आने वाला समय हमारे लिए काफी बेहतर है. योजनाएं तैयार की जा रही हैं, जिनका तेजी से धरातल पर क्रियान्वयन हो रहा है.

हूल दिवस का इतिहास

बता दें कि 30 जून को हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज ही के दिन 1855 में सिदो, कान्हू, चांद, भैरव के नेतृत्व में ब्रिटिश हुकूमत और महाजनों के शोषण के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका गया था. यह आंदोलन संथाल परगना के साथ पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में फैला था. इस क्रांति ने ब्रिटिश हुकूमत को झकझोर कर रख दिया था. हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. हालांकि बाद में इस हूल के नायक सिदो-कान्हू को साहिबगंज के भोगनाडीह में अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था. उन शहीदों को याद करने के लिए हूल दिवस मनाया जाता है.

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