लखनऊ: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट का परिणाम भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में डैमेज कंट्रोल कर गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को जो डेंट लगा था उससे उबरने का मिल्कीपुर में मौका मिला है. इसके अलावा मिल्कीपुर की सीट की जीत से भाजपा को उत्तर प्रदेश में एक नया दलित चेहरा मिला है. साथ ही दलितों के बीच में पार्टी के लिए एक बेहतर संदेश भी गया है.
वहीं दूसरी तरफ मिल्कीपुर विधानसभा सीट को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयानों और जीत के अंतर से यह साफ हो गया है कि वह जनता की नस को पकड़ने में पूरी तरह से विफल रहे हैं. अब समाजवादी पार्टी को दोबारा से अपनी तैयारी को पुख्ता करना होगा.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ विजय उपाध्याय बताते हैं कि मिल्कीपुर विधानसभा सीट की जीत ने जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव के सदमे से उबरने में मदद की है. वहीं फैजाबाद सीट पर मिली हार को एक तरह से भुलाने में मदद करेगी. साथ ही जनता के बीच में यह संदेश भी जाएगा कि लोकसभा चुनाव के समय हुई गलतियों से पार्टी ने सबक लिया है और अब दोबारा से वह लोगों के बीच में जाकर विकास और मुद्दों की राजनीति कर रही है.
विजय उपाध्याय ने बताया कि मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के वोटिंग के बाद जिस तरह से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आरोप लगा रहे थे, वह पूरी तरह से निराधार साबित हुआ है. भाजपा किसी भी तरह से प्रशासनिक बल के दम पर अगर चुनाव जीती होती तो इतना बड़ा मार्जिन ना मिलता. यह तभी संभव हो पाता है जब जनता साथ देती है. जिस तरह से मिल्कीपुर में जनता ने भाजपा प्रत्याशी को जो समर्थन दिया है वह इस बात को साबित करता है.
विजय उपाध्याय ने बताया कि अभी कुछ महीने पहले हुए 9 सीटों के उपचुनाव और अब मिल्कीपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव ने सपा को एक बड़ा संदेश दिया है. अखिलेश यादव को 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू करने से पहले अपने पीडीए और पार्टी के कील-कांटे दुरुस्त करने होंगे. केवल बयानबाजी करने और दोषारोपण करने से वह जनता का विश्वास नहीं जीत पाएंगे.
भाजपा 2027 के चुनाव में अब पूरी ताकत से जुटेगी:2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिली हार और विशेष तौर पर अयोध्या की हार ने यूपी भाजपा के मनोबल को तोड़ा था. फैजाबाद लोकसभा सीट की मिल्कीपुर विधानसभा सीट जीतकर भाजपा दोबारा से अपने पुराने मनोबल को हासिल करेगी और जनता के बीच में यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि 2024 का चुनाव प्रत्याशियों के प्रदर्शन का परिणाम था. जबकि पार्टी नए सिरे से फिर से उत्तर प्रदेश में संगठन को खड़ा कर पूरी ताकत से 2027 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और विपक्षी दलों का मुकाबला करेगी.
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