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जशपुर के कुनकुरी में एशिया का सबसे बड़ा दूसरा चर्च, जानिए रोजरी की महारानी महागिरजाघर की विशेषता - ASIA SECOND LARGEST CHURCH

छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला ईसाई समुदाय के लिए सबसे प्रसिद्ध शहर है. यहां एशिया का दूसरा बड़ा चर्च है. merry christmas wishes

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मैरी क्रिसमस (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 23 hours ago

Updated : 18 hours ago

जशपुर: छत्तीसगढ़ सहित पूरे विश्व में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए जशपुर शहर काफी फेमस है. जशपुर शहर से 50 किलोमीटर दूर कुनकुरी में एशिया का सबसे बड़ा दूसरा चर्च स्थित है. यह महागिरजाघर वास्तुकला का अदभुत नमूना है. इस चर्च का विशालकाय भवन केवल एक बीम पर टिका हुआ है. इस भवन में 7 अंक का विशेष महत्व है. इसमें 7 छत और 7 दरवाजे मौजूद है. एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहलाने वाले इस चर्च में एक साथ 10 हजार श्रद्वालु प्रार्थना कर सकते हैं. क्रिसमस में न केवल देश से ही बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पंहुच कर प्रभु की प्रार्थना करते हैं. कुनकुरी का महागिरजाघर धार्मिक सौहार्द का भी प्रतीक है.

कैसे हुआ कुनकुरी के महागिरजाघर का निर्माण?: कुनकुरी के महागिरजाघर का निर्माण करीब 17 साल में पूरा हुआ. साल 1962 में इस चर्च की आधारशिला रखी गई. उसके बाद चर्च के एक हिस्से का निर्माण साल 1964 में पूरा हुआ. चर्च के दूसरे हिस्से का निर्माण साल 1979 में पूरा हुआ. इस चर्च का लोकार्पण साल 1982 में हुआ. करीब 17 साल में इस चर्च को तैयार किया गया. इस महागिरिजाघर को आदिवासी मजदूरों ने बनाया. यह चर्च अपनी अनूठी और सुंदर वास्तुकला के लिए जाना जाता है. इस चर्च की बनावट बाइबिल में लिखे तथ्यों के आधार पर हुई है. जिले में इस चर्च से संबंधित लगभग 2 लाख से अधिक अनुयायी हैं.

कुनकुरी में एशिया का सबसे बड़ा दूसरा चर्च (ETV Bharat Chhattisgarh)

महागिरजाघर में आते हैं लाखों लोग: इस महागिरजाघर में लाखों लोग आते हैं और प्रभु यीशु के दर्शन करते हैं. महागिरजाघर सहित जिले के अनेक चर्चों में महीने भर से कैरोल गीत की धुन गूंजने लगती है. कुनकुरी के चर्च में इसकी विशेष धुन मन को मोह लेने वाली होती है. यह इस क्षेत्र के ईसाई धर्मावलंबियों का केंद्र माना जाता है. जहां लाखों की संख्या में लोग चर्च में आते रहते हैं. इसकी बेजोड़ वास्तुकला, सुंदरता,भव्यता, प्रार्थना और अपनी आकृति यहां आने वाले ईसाई धर्म के लोगों का दिल जीत लेती है.

रोजरी की महारानी महागिरजाघर (ETV BHARAT)

यहां क्रिसमस का त्यौहार खास होता है, क्योंकि यह एशिया का दूसरा बड़ा चर्च है. यहां क्रिसमस पर चरनी बनाई जाती है. जिसमे ईसा मसीह के जीवन को दर्शाया जाता है. यहां हर धर्म समुदाय के लोग अपनी आस्था से आते हैं.- बिशप एम्मानवेल केरकेट्टा, जशपुर ईसाई धर्म प्रान्त के धर्माध्यक्ष

महागिरजाघर की तस्वीरें (ETV BHARAT)

एक महीने पहले से क्रिसमस की तैयारी: इस चर्च में एक महीने पहले से ही क्रिसमस की तैयारी शुरू हो जाती है. इस साल भी एक महीने पहले से क्रिसमस को मनाने की तैयारी शुरू हुई. प्रभु के आगमन के एक महीने पहले यहां के 15-16 गांवों को झांकी बनाने का जिम्मा सौंप दिया जाता है, जो क्रिसमस की रात लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होता है. इन्हीं झांकियां के माध्यम से समाज को संदेश देने का काम भी किया जाता है.

क्रिसमस के रंग (ETV BHARAT)

मणिपुर हिंसा की वजह से आयोजन फीका: इस बार कुनकुरी के महागिरिजाघर में मणिपुर हिंसा को लेकर कोई विशेष आयोजन नहीं किया गया. यहां सादगी से क्रिसमस मनाने का फैसला लिया गया. इस बार आयोजन की बचत राशि को प्रभावितों की आर्थिक सहायता और पुर्नवास के लिए दान करने का फैसला लिया गया. महागिरजाघर के अंदर और बाहर के हिस्से में पारम्परिक रूप से क्रिसमस की गेदरिंग की गई. इसी प्रकार से जिले के अलग-अलग गावों, घरों और सभी छोटे चर्चों में इस अवसर पर होने वाले प्रार्थना सभाओं की व्यवस्था की गई है.

बिशप हाउस (ETV BHARAT)

मंगलवार 24 दिसम्बर की दोपहर से ही जिले भर के गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना और जन्मोत्सव मनाने मसीही समाज के लोग पहुंचने लगे थे. प्रभु के जन्म के एक घंटे पहले से ही पूजा शुरू हुई. वहीं जब प्रभु यीशु का आगमन हो जाता है, उसके बाद उन्हें चरनी में रखा जाता है. महागिरजाघर में मुख्य द्वार के बाहर एक चरनी बनाई गई है. जहां लोग आकर प्रभु के जन्म का सजीव दृश्य देख सकेंगे. -बिशप एम्मानवेल केरकेट्टा, जशपुर ईसाई धर्म प्रान्त के धर्माध्यक्ष

यहां कैसे मनाया जाता है क्रिसमस?: रोजरी की महारानी महागिरजाघर में मुख्य अधिष्ठाता जशपुर धर्मप्रांत के बिशप स्वामी एमानुएल केरकेट्टा की अगुवाई में क्रिसमस मनाया जाता है. यहां पुरोहितों के समूह ने प्रार्थना और पूजा शुरू करते हैं. प्रभु के जन्म के एक घंटे पहले से ही पूजन का कार्य प्रारंभ होता है. वहीं जब प्रभु यीशु का आगमन हो जाता है, उसके बाद उन्हें चरनी में रखा जाता है. कुनकुरी महागिरजाघर के बाहर खुले में छोटी-छोटी कई चरनी बनाई गई है, लेकिन प्रमुख चरनी चर्च के कंपाउंड में बनाई गई है. जहां लोग आकर प्रभु के जन्म का सजीव दृश्य देखते हैं. प्रभु के चरनी में रखने के बाद आशीर्वाद और प्रार्थना का सिलसिला शुरू होता है. पूरे कंपाउंड में लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं.

क्रिसमस के जश्न में डूबा छत्तीसगढ़, एशिया के सबसे बड़े चर्च कुनकुरी में होगी स्पेशल प्रार्थना - कुनकुरी में होगी स्पेशल प्रार्थना

जशपुर में क्रिसमस का त्योहार, कुनकुरी महागिरजाघर में विशेष प्रार्थना - कुनकुरी महागिरजाघर में विशेष प्रार्थना

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Last Updated : 18 hours ago

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