मेरठ : लोहियानगर की जाकिर कॉलोनी में तीन मंजिला मकान गिरने से 11 लोगों की मौत हो चुकी है. हादसे के बाद अब कई तरह की बातें हो रही हैं. तीन मंजिला मकान के गिरने की गूंज भले ही पूरे देश में सुनाई दी हो, लेकिन हादसे की मूल वजह ने मेरठ नगर निगम की उदासीनता सामने आ रही है. दरअसल नगर निगम वर्षों से अभियान चला कर दूध डेयरियों को शहर से बाहर करने का दावा कर रहा है. बावजूद हालात जस के तस हैं.
बता दें, जाकिर कॉलोनी का जो तीन मंजिला मकान 11 लोगों का काल बन गया है. वहां कभी निचली मंजिल में दूध डेयरी संचालित थी. परिवार छोटा था, सबकुछ ठीक था, लेकिन परिवार बढ़ा तो दो मंजिलें और बना ली गईं. यहां नगर निगम के कायदे कानून को दरकिनार कर अवैध निर्माण किया गया. अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार का कहना है कि इस मकान को बने हुए 50 साल हो चुके है. मकान की निचली मंजिल पर दूध की डेयरी चल रही थी. यह बात भी सामने आ चुकी है कि वर्षों से अवैध डेयरी का संचालन हो रहा था. इस डेयरी में 20 से ज्यादा भैंस, बकरियां, मुर्गे भी थे. घर की छत पर बकरियों को रखा गया था. घर के सभी मवेशियों के मल मूत्र निकासी के लिए कोई खास इंतजाम नहीं थे.
अपर नगर आयुक्त के अनुसार जांच में यह बात भी सामने आई है कि जानवरों का गोबर, गंदगी को सफाई करने के लिए हर दिन सैकड़ों लीटर पानी यहां बर्बाद होता था. घर के निचले हिस्से में सीलन और नमी बरकरार बनी रहती थी. अब जब तीन दिन से हर दिन मेघ बरस रहे थे तो दीवारें और भी कमजोर हो चुकी थीं. जिस वजह से घर की बुनियाद जो कि लगातार कमजोर हो रही थी वह धंस गई और दीवार के धंस जाने से दीवारें भी दरक गईं. नगर निगम ने छह महीने पहले मकान संचालक को नोटिस भी दिया था. अवैध डेयरी बंद करने का नोटिस परिवार को रिसीव कराया गया था. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी राजेंद्र शर्मा का कहना है कि इस हादसे मे मृत पशुओं का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. दैवीय आपदा के तहत जो प्रावधान है उसके तहत सभी पशुओं की मौत का मुआवजा पीड़ित परिवार को दिलाया जाएगा.