खूंटी: जिले से करीब 17 किमी दूर मुरहू प्रखंड क्षेत्र मे स्थित डोंबारी बुरू झारखंड के अस्मिता और संघर्ष का साक्षी है. यह स्थल बिरसा मुंडा और उनके लोगों के बलिदान की कर्मभूमि है. डोंबारी बुरु यानी डोंबारी पहाड़. यहीं उन्होंने अपनी सेना संग्रहित की और अपने विशिष्ट युद्ध कौशल से अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का आगाज किया. यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान का ऐलान किया.
अंग्रेजों ने 9 जनवरी 1900 को इसी स्थल पर सैकड़ों आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया था. उन शहीदों की याद में डोंबारी बुरु में 9 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है और मेले का आयोजन किया जाता है. आयोजनकर्ताओं ने इस साल भी मेले का आयोजन किया है.
डोंबारी बुरु में शहीद हुए आदिवासियों को गुरुवार को नमन करने राज्य के कई मंत्री, विधायक, सांसद समेत पूर्व सांसद और विधायक पहुंचेंगे. अंग्रेजों की गोली से मारे गए सैकड़ों आदिवासियों को नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इसके साथ ही शाम को मेला का आयोजन किया जाएगा.
गांव वालों ने पूरी तैयारी कर ली है, साथ ही प्रशासनिक स्तर से भी तैयारी पूर्ण कर ली गई है. शहीद स्थल को सजाया गया है. बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों समेत बिरसाइत और स्थानीय ग्रामीण शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने जाएंगे.
डोंबारी बुरु में यह घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी पहले हुई थी. डोंबारी बुरु में 9 जनवरी 1900 को ये घटना घटी थी, जिसमें सैकड़ों आदिवासियों की शहादत को हर साल याद किया जाता है. इस वर्ष मंत्री दीपक बीरूआ, कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, सांसद कालीचरण मुंडा, गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, पूर्व सांसद अर्जुन मुंडा, खूंटी विधायक राम सूर्या मुंडा, तोरपा विधायक सुदीप गुड़िया, पूर्व विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, कोचे मुंडा समेत कई जनप्रतिनिधि पहुंचेंगे.
बताया जाता है कि अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान को लेकर 9 जनवरी 1900 को भगवान बिरसा मुंडा अपने अनुयायियों के साथ सभा कर रहे थे. सभा की सूचना मिलने पर अंग्रेज सैनिक वहां आ धमके और सभा स्थल को चारों ओर से घेर लिया. अंग्रेजों ने सभा पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी. बिरसा मुंडा और उनके साथियों ने भी काफी संघर्ष किया.