राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Rajasthan: मंगला चौथ पर पुष्कर में रहता है गयाजी का वास, यहां भगवान श्रीराम ने किया था अपने पिता दशरथ का श्राद्ध

पुष्कर के निकट गयाकुंड में मंगलवार को मंगला चौथ का मेला लगा. यहां लोगों ने स्नान किया और अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया.

MANGALA CHAUTH FAIR IN PUSKAR
पुष्कर के निकट गयाकुंड में मंगलवार को मंगला चौथ का मेला लगा (Photo Etv Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 5, 2024, 5:55 PM IST

Updated : Nov 5, 2024, 6:23 PM IST

अजमेर: तीर्थराज पुष्कर में मंगलवार को चौथ के दिन कनिष्ठ पुष्कर के नजदीक गया कुंड में मेला लगा है. मान्यता है कि यहां के गया कुंड में स्नान और पूजा से व्याधियों से मुक्ति मिलती है. यह इस वर्ष की आखरी मंगला चौथ है, इसलिए बड़ी संख्या में लोग दूरदराज से शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों से मुक्ति पाने में लिए गयाजी कुंड पंहुचते हैं.

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार पुष्कर के गयाजी कुंड में भगवान श्रीराम ने अपने पिता का श्राद्ध किया था. स्थानीय लोग इस पवित्र गयाजी कुंड को सुधाबाय के नाम से पुकारते हैं. शास्त्रों में गयाजी कुंड को अवियोगा कुंड भी कहते हैं. पद्म पुराण में इस पवित्र स्थान के महत्व का उल्लेख है. खास बात यह है कि भगवान श्रीराम से भी इस स्थान का विशेष जुड़ाव रहा है. तीर्थ पुरोहित पंडित प्रमोद पाराशर बताते हैं कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ऋषि अत्रि के आश्रम गए थे. ऋषि अत्रि ने ही भगवान श्रीराम को पुष्कर में इस दिव्य कुंड की महिमा के बारे में बताया था. ऋषि अत्रि ने राजा दशरथ का श्राद्ध पुष्कर के गयाजी कुंड में करने के लिए कहा था. ऋषि अत्रि के कहे अनुसार भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण पुष्कर में गयाजी कुंड आए और यहां नजदीक ही स्थान पर रुके थे. जब पुष्कर में तत्कालीन समय में मौजूद ऋषि मार्कंडेय, ऋषि मकरंद और ऋषि लोमश की उपस्थिति में भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था.

पुष्कर के निकट गयाकुंड में मंगलवार को मंगला चौथ का मेला लगा (Etv Bharat Ajmer)

पढ़ेंः Rajasthan: इस मंदिर में अगर सच्चे मन से जला दिया दीया तो मिल जाएगी प्यारी सी दुल्हनिया

व्याधियों से मिलती है मुक्ति: पाराशर ने बताया कि जब से भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध किया था, तब से यहां लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने लगे हैं. ऐसा भी माना जाता है कि अकाल मौत मरने वाले लोगों की आत्म शांति के लिए यहां श्राद्ध कर्म होते है. इससे आत्मा को मुक्ति मिलती है. बताया जाता है कि यहां श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

स्नान के बाद छोड़ने होते हैं पुराने कपड़े:पंडित लखन पाराशर बताते हैं कि पूजा अनुष्ठान के बाद दो बातें यहां गौर करने वाली होती है. पहली तो यह है कि यहां स्नान के बाद कपड़े यहीं छोड़ने होते हैं. दूसरी, तीर्थ पुरोहित की ओर से दिया गया नारियल कुंड में छोड़ना होता है. स्नान के बाद व्यक्ति को बिना पीछे देखे चले जाना होता है. सदियों से सुधाबाय में लोगों की आस्था बनी हुई है.पंडित पाराशर बताते हैं कि यहां शारीरिक और मानसिक व्याधियों से लोगों को मुक्ति मिलती है.

गयाजी रहते हैं विराजमान:पंडित ईश्वर लाल पाराशर ने बताया कि शास्त्रों में गयाजी का विशेष महत्व है. मंगल चौथ को विशेष योग बनता है. इसको अंगारक योग भी कहते हैं. इस योग में गयाजी स्वयं यहां विराजमान रहती हैं. मंगल चौथ के दिन यहां श्राद्ध कर्म करने से उतना ही फल प्राप्त होता है, जितना गयाजी में करने से फल मिलता है. इसके अलावा यहां ऊपरी बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है. उन्होंने बताया कि यह योग इस वर्ष में दूसरी बार ही आया है. इस विशेष योग में श्राद्ध कर्म करवाने के लिए उत्तर और मध्य भारत के विभिन्न राज्यों से लोग पुष्कर आते हैं.

Last Updated : Nov 5, 2024, 6:23 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details