गया:बिहार के गया मेंविश्व विख्यात पितृपक्ष मेला बिहार के गया जी धाम में चल रहा है. पितृ पक्ष मेले में अब तक 5 लाख से अधिक तीर्थयात्री गयाजी धाम में अपने पितरों का निमित्त पिंडदान करने को आ चुके हैं. अपने पितरों के लिए जहां तीर्थयात्री पिंडदान कर रहे हैं. वहीं यूपी के अलीगढ़ के विष्णु कुमार बंटी ने लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया, फिर उनका पिंडदान किया.
अज्ञात पितरों का किया पिंडदान: विष्णु कुमार बंटी के नेतृत्व में यूपी के अलीगढ़ से आकर 198 वैसे लोगों का पिंडदान किया गया, जिनके शव लावारिस या अज्ञात मिले थे. इन लावारिस शवों का न सिर्फ विष्णु कुमार बंटी की स्थापित संस्था मानव उपकार के द्वारा अंतिम संस्कार विधि विधान पूर्वक किया गया, बल्कि उनकी अस्थियों को सुल्तानगंज उत्तर वाहिनी गंगा में विसर्जित भी किया गया.
एक पिंडदान ऐसा भी: मोक्ष धाम गया जी में हुआ ये पिंडदान निश्चित तौर पर एक मिसाल है. गया जी में यूपी के अलीगढ़ से पहुंचे मानव उपकार के संचालक विष्णु कुमार बंटी के नेतृत्व में 193 लोगों की टीम यहां आई है. गया जी पहुंचने के बाद इस टीम के द्वारा 198 वैसे लोगों के लिए पिंडदान किया गया, जिनके शव लावारिस थे. उन शवों का इस संस्था के द्वारा अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित की गई और फिर रविवार को मोक्ष भूमि गया जी में सीताकुंड पिंडवेदी पर पिंडदान का कर्मकांड किया गया.
193 लोगों के समूह ने किया 198 अज्ञात लोगों का पिंडदान: यह पिंडदान काफी अनोखा है, क्योंकि विष्णु कुमार बंटी के नेतृत्व में यह बड़ी पहल पूरी आस्था के साथ की गई है. 193 लोगों की टीम गयाजी धाम आई हुई है. इन लोगों ने लावारिस और अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन के बाद मोक्ष की कामना के लिए गया में पिंडदान का कर्मकांड भी किया.
250 शवों का किया अंतिम संस्कार: इस संबंध में विष्णु कुमार बंटी ने बताया कि वह मानव उपकार नाम की संस्था चलाते हैं. पिछले 25 वर्षों से इस संस्था के द्वारा लावारिस अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार का काम कर रहे हैं. इस साल 250 लावारिस शव मिले थे, जिनके परिवार का कोई आता पता नहीं था. उनकी संस्था के द्वारा सभी अज्ञात -लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया गया. 250 में से 198 की अस्थियां थी. अस्थियों को सुल्तानगंज गंगा उतर वाहिनी में विसर्जन किया गया.
50 से अधिक महिलाएं भी हुई शामिल: मानव उपकार की टीम गयाजी मोक्ष भूमि को पहुंची और यहां सीता कुंड के तट पर निमित पिंडदान का कर्मकांड किया है. सीता माता ने भी यहां पिंडदान किया था, इसलिए उनकी संस्था में 50 से अधिक महिलाएं भी आई हैं और पिंडदान के कर्मकांड में शामिल हुई.
25 साल पहले की पहल: मानव उपकार संस्था के संस्थापक विष्णु कुमार बंटी बताते हैं, कि 25 साल पहले एक रिक्शा वाले को लाश फेंकते उन्होंने देखा था. इसी प्रकार एक शव को कोई गाड़ भी नहीं रहा था. उन शवों को कुत्ते और चील नोंच रहे थे. तभी से उन में यह भावना पनपी कि वो भी लावारिस हो सकते हैं. इसके बाद हमारे मन में जो भावना आई, उसे एक लक्ष्य बनाया और तब से लावारिस और अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया.
हजारों लावारिस शवों का किया अंतिम संस्कार: विष्णु कुमार बंटी बताते हैं, कि पिछले 25 सालों में 6000 से अधिक लावारिस अज्ञात शवों का सम्मान अंतिम संस्कार मानव उपकार संस्था के द्वारा किया जा चुका है. अलीगढ़ की मानव उपकार संस्था हिंदू, मुस्लिम, सिख हो या इसाई किसी भी जाति समुदाय के लावारिस अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार उसी के धर्म के अनुसार करती हैं.