मैनपुरी :डिलीवरी के बाद स्टाफ नर्स की लापरवाही से नवजात की जान चली गई. नेग के लिए उसने देर तक नवजात को परिजनों को नहीं सौंपा. उसने बच्चे को कपड़े में लपेटकर टेबल पर रख दिया. करीब 40 मिनट बाद रुपये मिलने पर उसने नवजात को दिया, लेकिन तब तक बच्चे की हालत बिगड़ चुकी थी. परिजन उसे लेकर सैफई मेडिकल कॉलेज पहुंचे. यहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद परिजनों ने शिकायत की तो स्टाफ नर्स और आशा बहू मिलकर उन्हें धमकाने लगे. सीएमओ ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी घटना का संज्ञान लिया है.
कुर्रा थाना क्षेत्र के ओन्हा पतारा गांव निवासी सुरजीत पुत्र धर्मेंद्र ने डीएम और सीएमओ को शिकायत पत्र भेजा. आरोप लगाया कि 18 सितंबर को पत्नी अंजलि को प्रसव पीड़ा होने पर करहल सीएचसी में भर्ती कराया. 19 सितंबर की सुबह पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया. इसके बाद ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स ज्योति भदौरिया पहुंची. वह 5100 रुपये नेग मांगने लगी. परिजनों ने इतने रुपये देने से इंकार कर दिया तो उसने कपड़े में लपेटकर नवजात को टेबल पर रख दिया.
मान-मनौव्वल करते-करते करीब 40 मिनट का समय बीत गया. बाद में रुपये देने पर नर्स ने नवजात को सौंपा. बच्चे में कोई हलचल न होने पर परिजन हैरान रह गए. इसके बाद बच्चे को सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. आनन-फानन में परिवार के लोग नवजात को लेकर वहां पहुंचे तो जांच के बाद चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिजनों के अनुसार वहां के चिकित्सक ने बताया कि समय पर बच्चे को उपचार मिलना जरूरी था.