कन्नौज : इत्र और इतिहास की नगरी कन्नौज में एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है जो अपने पौराणिक इतिहास के लिए जाना जाता है. कहा जाता है कि इस शिवलिंग में भगवान शिव पूरे परिवार के साथ आकृति के रूप में नजर आते हैं. स्वयंभू शिवलिंग में शिव परिवार के दर्शन करने लिए काफी दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं और जलाभिषेक कर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं.
कन्नौज में गौरी शंकर मंदिर (Video credit: ETV Bharat)
कन्नौज जिले में गंगा किनारे स्थित बाबा गौरी शंकर का अति प्राचीन मंदिर है. माना जाता है कि बाबा गौरी शंकर मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वंभू है और इस शिवलिंग में भगवान शिव का पूरा परिवार विराजमान है. अगर हम इस मंदिर के प्राचीन इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि कन्नौज के राजा हर्षवर्धन बाबा गौरी शंकर मंदिर में 1001 पुजारियों के साथ शिवलिंग की पूजा अर्चना करते थे. शिवरात्रि और सावन के पर्व पर मंदिर को खूब सजाया जाता है. जानकारों की मानें तो यह मन्दिर छठी शताब्दी का है. कहा जाता है कि इस शिवलिंग में भगवान शिव, माता पार्वती, पुत्र गणेश और कार्तिकेय आकृति के रूप में नजर आते हैं.
मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग (Photo credit: ETV Bharat)
मंदिर के पुजारी अनिरुद्ध दीक्षित बताते हैं ये कन्नौज का अतिप्राचीन बाबा गौरी शंकर का मंदिर है. कन्नौज के राजा हर्षवर्धन और सम्राट जयचंद व उनका पूरा परिवार मंदिर में आकर पूजा करता था. राजा हर्षवर्धन ने मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए 1001 पुजारी नियुक्त कर रखे थे. देवी भागवत में भी इस स्वयंभू शिवलिंग का वर्णन मिलता है. उन्होंने बताया कि मां जब सती हुई थीं तो उनके कान का कुण्डल यहां गिरा था. शिवलिंग में वह कुंडल भी दिखाई देता है. इस तरह का शिवलिंग पूरे भारत में कही पर नहीं है. मां गंगा का भी गौरी शंकर मंदिर से बहुत जुड़ाव रहा है. जब बाबा को अपना अभिषेक कराना होता था तो वह मां गंगा को बुला लिया करते थे. 2011 में मां गंगा मंदिर के अंदर आई थीं और शिवलिंग को स्पर्श कर वापस लौट गई थीं.
कन्नौज में गौरी शंकर मंदिर (Photo credit: ETV Bharat) कन्नौज नगर निवासी सौरभ त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर में जो भक्त सच्चे मन से मनोकामना मांगता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता है. मंदिर के इतिहास की बात करें तो चीनी यात्री ह्वेन त्सांग जब भारत यात्रा पर आये तो इस मंदिर के बारे में उन्होंने अपनी किताब में लिखा कि मंदिर में 1001 पुजारी पूजा करते थे. मंदिर ईशान कोण पर विराजित है जो शहर के लिए शुभ माना जाता है. उन्होंने कहा कि इस शहर को पहले कान्यकुब्ज कहा जाता था, धीरे-धीरे इसे लोग कन्नौज कहने लगे. शिवलिंग में एक तरफ मां के कान को भी देखा जा सकता है. कन्नौज के गौरीशंकर मंदिर को सिद्ध पीठ भी कहा जाता है.
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